मुंगेर
सदर अस्पताल के बाहर भले ही लिखा है मुस्कुराइये आप सदर अस्पताल में है…, लेकिन यहां की बदहाल व्यवस्था आपको मुस्कुराने की जगह परेशान करने के लिये काफी है. कुछ ऐसा ही नजारा रविवार को देखने को मिला. जब अस्पताल का सबसे महत्वपूर्ण आईसीयू वार्ड का संचालन दोपहर 2 बजे के बाद बिना परिचारिका के ही होता रहा. जिसके कारण आईसीयू वार्ड में भर्ती एक महिला मरीज को ऑक्सीजन लगाने के लिए परिजन परेशान रहे. अस्पताल प्रबंधन के बदहाल व्यवस्था का आलम यह रहा कि रविवार को वार्ड में तैनात परिचारिका सुषमा लाल क्यों नहीं समय पर अस्पताल पहुंची थी, इससे अस्पताल प्रबंधन बेखर रहा. बाद में परिचारिका के जाम में फंसे रहने की बात कह कर मामले को टाल दिया गया.रविवार की सुबह 92 वर्षीय मधुरिका देवी को उसके परिजन गंभीर हालत में इलाज के लिए सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड लेकर आये. जहां प्राथमिक उपचार के बाद लगभग 2 बजे मधुरिका देवी को आईसीयू वार्ड में भर्ती कर दिया गया. लेकिन 2 से 2.30 के बीच आईसीयू वार्ड में कोई भी परिचारिका नहीं थी. जबकि परिचारिका कक्ष भी बंद था. इस दौरान मरीज को बेड पर ऑक्सीजन लगाना था, लेकिन परिचारिका के नहीं रहने के कारण परिजन केवल ऑक्सीजन लगने के लिए वार्डों का चक्कर लगाते रहे. इस दौरान इमरजेंसी वार्ड में भी मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण परिजन पूरी तरह आक्रोशित हो गये. जिससे हंगामें की स्थिति बन गयी. हलांकि इसके बाद इमरजेंसी वार्ड में तैनात कर्मी द्वारा आईसीयू वार्ड पहुंचकर मरीज को ऑक्सीजन लगाया गया.
परिचारिका के नहीं होने के कारण की किसी को नहीं थी जानकारी
रविवार को स्टॉफ ड्यूटी रोस्टर के अनुसार दोपहर 2 बजे के बाद आईसीयू वार्ड में परिचारिका सुषमा लाल की ड्यूटी थी. हद तो यह थी कि परिचारिका ड्यूटी पर क्यों नहीं थी या वह अवकाश पर थी, इसकी जानकारी तक किसी को नहीं थी. नियमानुसार अस्पताल उपाधीक्षक से अवकाश स्वीकृत होने या उसकी जगह किसी दूसरी परिचारिका की ड्यूटी लेने के बाद ही कोई परिचारिका अवकाश पर जा सकती है. अब ऐसे में आईसीयू जैसे वार्ड का संचालन बिना परिचारिका के होना खुद अस्पताल प्रबंधन के कार्य पर सवाल खड़ा कर रही है.
कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षक
अस्पताल उपाधीक्षक डॉ रमन कुमार ने बताया कि रविवार को दोपहर के शिफ्ट में सुषमा लाल की ड्यूटी थी. जो जमालपुर से आती है. सफियाबाद में जाम के कारण उसे आने में विलंंब हुआ है. जिसे लेकर उसे निर्देश दिया गया है कि समय पर ड्यूटी पर पहुंचे, ताकि मरीजों को परेशानी न हो.
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——————————————–वार्डों में नहीं होता हैंडओवर, टेकओवर का पालन
मुंगेर :
नियमानुसार वैसे तो किसी भी शिफ्ट में ड्यूटी बदलने के दौरान हैंडओवर और टेकओवर का नियम होता है. जिसमें एक शिफ्ट की परिचारिका को तबतक वार्ड में रहना होता है, जबतक दूसरे शिफ्ट की परिचारिका आकर ड्यूटी न ले, लेकिन सदर अस्पताल के वार्डों में इसका पालन नहीं होता है. जिसके कारण ही दोपहर के शिफ्ट में परिचारिका के आने से पहले ही प्रथम शिफ्ट की परिचारिका वार्ड से निकल गयी. जिससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है