स्थायी कुलपति के इंतजार में लंबी होती जा रही पेंडिंग कार्यों की सूची

पिछले 4 माह से मुंगेर विश्वविद्यालय प्रभारी कुलपति के भरोसे चल रहा है. जिनके पास नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 13, 2024 6:08 PM

4 माह से प्रभारी कुलपति के भरोसे मुंगेर विश्वविद्यालय

मुंगेर. पिछले 4 माह से मुंगेर विश्वविद्यालय प्रभारी कुलपति के भरोसे चल रहा है. जिनके पास नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार है. वहीं एमयू प्रशासन खुद अपने ही सक्षम प्राधिकारियों की बैठक को लेकर पूरी तरह लापरवाह बना है. जिसके कारण विश्वविद्यालय में पेंडिंग कार्यों की सूची लगातार लंबी होती जा रही है. हालांकि अब नया साल आरंभ होने वाला है. ऐसे में नये साल में एमयू के लिये स्थायी कुलपति मिलने का इंतजार भी समाप्त हो सकता है.

4 माह से प्रभार में चल रहा विश्वविद्यालय

एमयू की पूर्व कुलपति प्रो. श्यामा राय का कार्यकाल वैसे ही आधे-अधूरे दावों के बीच 19 अगस्त को ही समाप्त हो गया था. जिसे लेकर 18 अगस्त को ही राजभवन द्वारा अधिसूचना जारी कर एमयू के कुलपति का प्रभार ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी को दिया गया. हलांकि राजभवन द्वारा प्रभारी कुलपति को नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार नहीं दिया गया. जिसके बाद से अबतक एमयू प्रभारी कुलपति के भरोसे ही चल रहा है.

लंबी होती जा रही पेंडिंग कार्यों की सूची

बता दें कि प्रभारी कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी द्वारा 20 अगस्त को ही एमयू में पेंडिंग कार्यों को पूरा करने के लिये राजभवन से नीतिगत निर्णय लेने की स्वीकृति मांगी गयी, लेकिन राजभवन से स्वीकृति नहीं मिलने के कारण विश्वविद्यालय में लगातार पेंडिंग कार्यों की सूची लंबी होती जा रही है. बता दें कि नीतिगत निर्णय का अधिकार नहीं होने के कारण अबतक एमयू में राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र तथा बंग्ला के शिक्षकों की प्रोन्नति प्रक्रिया अधर में लटकी है. जबकि अनुकंपा आश्रितों की नियुक्ति प्रक्रिया भी लंबे समय से पेडिंग पड़ा है. इतना ही नहीं एमयू को अपने 17 अंगीभूत कॉलेजों में 50 से अधिक संविदाकर्मियों को सेवा विस्तार भी सिंडिकेट तथा सीनेट बैठक की प्रत्याशा में दिया गया है. जबकि अब 19 दिसंबर को एमयू के लगभग 100 अतिथि शिक्षकों का सेवा काल भी समाप्त होना है. ऐसे में अब विश्वविद्यालय को अपने अतिथि शिक्षकों को सेवा विस्तार देने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

सक्षम प्राधिकार को लेकर एमयू पूरी तरह लापरवाह

एमयू अपने ही सक्षम प्राधिकारों जैसे सिंडिकेट व सीनेट की बैठक को लेकर पूरी तरह उदासीन बन गया है. जिसके कारण शिक्षकों के लीयन लीव, नये शिक्षकों के नियुक्ति के अनुमोदन सहित शिक्षक व कर्मियों के अवकाश व अन्य कई मामलों की सूची विश्वविद्यालय में दिनोंदिन लंबी होती जा रही है. हद तो यह कि एमयू के सक्षम प्राधिकार सिंडिकेट की बैठक तो एक साल में 12 बार होनी थी, लेकिन साल 2024 में अबतक एक भी सिंडिकेट की बैठक नहीं हुयी है. हलांकि 3 अगस्त 2024 को एमयू में सिंडिकेट की बैठक हुयी, लेकिन उसमें केवल एक सूची एजेंडा शिक्षकों की प्रमोशन प्रक्रिया ही रही. अब ऐसे में अपने सक्षम प्राधिकारियों के प्रति विश्वविद्यालय की लापरवाही खुद विश्वविद्यालय के कार्य पर ही सवाल खड़े कर रही है.

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