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लापरवाही : बंदी को अकेले छोड़ कर चले गये वर्दी वाले

जेल से इलाज कराने सदर अस्पताल पहुंचे बंदी में इंसानियत जिंदा था. यही कारण है कि पुलिस की लापरवाही के बावजूद वह भागा नहीं, बल्कि अस्पताल में डटा रहा.

प्रतिनिधि, मुंगेर. जेल से इलाज कराने सदर अस्पताल पहुंचे बंदी में इंसानियत जिंदा था. यही कारण है कि पुलिस की लापरवाही के बावजूद वह भागा नहीं, बल्कि अस्पताल में डटा रहा. क्योंकि पुलिस वाले ने हाथ में हथकड़ी लगा कर उसमें बंधी रस्सी को ग्रिल से बांध रखा था, जबकि पुलिस वाले का कहीं कोई अता-पता नहीं था. सोमवार की सुबह सदर अस्पताल परिसर में बने पक्का मरवा में लगे बेड पर एक युवक बैठा हुआ था. जिसके हाथ में हथकड़ी लगा हुआ था और हथकड़ी में लगा रस्सी मरवा के ग्रील से बंधा हुआ था, लेकिन वहां पर कोई पुलिसकर्मी नहीं था. 10-15 मिनट बीत जाने के बाद जब पुलिस वाले नहीं आये तो पत्रकारों ने उससे पूछताछ किया. उसने बताया कि वह खड़गपुर थाना क्षेत्र के शिमपुर गांव का रहने वाला है. उसका नाम संजीव कुमार और पिता का नाम घरदेव सिंह है. वह 10 लीटर महुआ शराब के साथ पकड़ाया था. 10 दिनों से जेल में बंद है. रविवार की शाम वह बीमार पड़ गया. इसके बाद पुलिस वाले उसे लेकर सदर अस्पताल पहुंचे. यहीं पर उसका इलाज चल रहा है. उसने कहा कि काफी देर से पुलिस वाले कहीं गये है. जब उससे पूछा गया कि भागा क्यों नहीं, तो उसने कहा कि हम भागेंगे तो पुलिस फिर से पकड़ ही लेगी. जो पुलिस वाले मुझे यहां लाये है उसकी भी नौकरी खतरे में पड़ जायेगी. इसलिए नहीं भागा.

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