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प्रतिमा विसर्जन झांकियों में बाढ़ की विभीषिका व महिलाओं पर बढ़ रहे अत्याचार की प्रस्तुति ने लोगोें को झंकझोरा

रेल नगरी जमालपुर की प्रतिमा विसर्जन शोभायात्रा अपने परंपरा के अनुसार रविवार की देर रात्रि निकली.

प्रतिनिधि, जमालपुर. रेल नगरी जमालपुर की प्रतिमा विसर्जन शोभायात्रा अपने परंपरा के अनुसार रविवार की देर रात्रि निकली. इसे लेकर जुबली बेल चौक पर करीब छह घंटे तक हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही. वहीं इस बार जमालपुर प्रतिमा विसर्जन की झांकियों में बाढ़ की विभीषिका और महिलाओं पर बढ़ रहे अत्याचार की झलक ने लोगों को अंदर तक झकझोर दिया. जमालपुर की प्रतिमाओं की विसर्जन शोभायात्रा की एक विशेषता यह रही है कि इसमें जो झांकियां निकाली जाती है, वह समसामयिक विषयों पर आधारित होता है और श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र भी बना रहता है. इन झांकियां में राजनीतिक व राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम, खेल, शासन प्रशासन व सामाजिक बुराइयों व कुरीतियों के विषय को शामिल किया जाता है. इस बार भी इसी प्रकार की झांकियां निकाली गयी जो अपने पीछे ढेर सारे संदेश छोड़ गयी है. जगत जननी काली नंबर एक की प्रतिमा की झांकी इस वर्ष बिहार में बाढ़ की विभीषिका पर आधारित थी. जिसमें कोशी के रौद्र रूप के साथ ही प्रदेश में बाढ़ की विभीषिका को दर्शाया गया था. दो नंबर काली प्रतिमा की झांकी का शीर्षक माता महाकाली को एक बार फिर रौद्र रूप में अवतार लेने का आवाहन कर रही थी, जिसका शीर्षक था जागो महाकाली, इस दुनिया ने फिर तुम्हें ललकारा है, कुछ नामर्दों की फौज ने तेरी बेटियों को मारा है. साथ ही प्रश्न भी उठाया गया था कि यदि महिलाएं पूजनीय है तो फिर उनके साथ अत्याचार क्यों होता है. इस कारण मानवता शर्मसार होती है. वहीं देश में बेटियों व महिलाओं पर होने वाले अत्याचार को भी दर्शाया गया था और साथ ही चेतावनी दी गयी थी कि नारी अबला नहीं बल्कि अंगार है.

अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी झाकियां लोगों के लिये बना रहा आकर्षण

नयागांव काली नंबर 3 की झांकी अंतरराष्ट्रीय मुद्दे पर थी. इसमें इजरायल और लेबनान तथा ईरान के बीच हो रहे युद्ध को लेकर भारत को विश्व गुरु की राह पर अग्रसर बताया गया था. झांकी में भारत और रूस की दोस्ती को भी दर्शाया गया था. एक अन्य काली पूजा समिति की झांकी में न्याय व्यवस्था पर प्रश्न उठाया गया था. झांकी का शीर्षक था पूछता है भारत, कौन करेगा इंसाफ मां. अंधी जनता या अंधा कानून. जो बेटी की सुरक्षा और जीवन पर ध्यान नहीं दे रहा. न्याय व्यवस्था को बलात्कारी, उत्पीड़क, दहेज लोभी और खूनी दरिंदा पर लगाम लगाने पर प्रश्न चिह्न लगाया गया था. बंगाल में डॉक्टर के साथ घटी घटना को आठ नंबर काली पूजा समिति की झांकी में चित्रित किया गया था. इसमें लिखा गया था मर गया इंसान, मगर इंसानियत जिंदा है. जिस्म को नोच कर खाने वाला वह शैतान जिंदा है. छोटी केशवपुर बम काली महारानी की झांकी में महंगाई डायन को उकेरा गया था. शीर्षक था महंगाई उगल रहा शैतान, मर रहा गरीब इंसान. बेरोजगारी में वृद्धि, बिजली बिल महंगा, मोबाइल रिचार्ज हुआ महंगा और उस पर सरकार साधे हुए हैं चुप्पी. श्रीयोगमाया बड़ी दुर्गा महारानी की झांकी आध्यात्मिक मुद्दे पर आधारित था. जिसमें उदासीन अखाड़ा के महंत का महिमा मंडल किया गया था. दलहटा दुर्गा स्थान पूजा समिति की झांकी भी नारी प्रताड़ना पर सवाल खड़ा कर रहा था. शीर्षक था इंसाफ की गुहार कब तक इंतजार. एक अन्य पूजा समिति की झांकी में मोदी सरकार के तीसरी पाली को लेकर प्रश्न किया गया था. मजबूत या मजबूर. छोटी केशवपुर दुर्गा स्थान की प्रतिमा की झांकी में न जाने कैसी सभ्यता का प्रचार कर रहे हो के साथ नारी पर हो रहे अत्याचार को दिखाया गया था. इसमें जम्मू कश्मीर के कठुआ कांड, महाराष्ट्र के मुंबई कांड, बंगाल के कोलकाता कांड और देश की राजधानी दिल्ली के कांड के पीड़ित महिलाओं को दर्शाया गया था. एक अन्य पूजा समिति की झांकी में मोदी सरकार पर तंज कसा गया था. इसमें शीर्षक दिया गया था 400 की बात करें, 300 भी न किया पार. आगे लिखा गया था बैसाखी पर आ गयी मोदी की सरकार तो नीचे था विकास ढूंढता बिहार. मारवाड़ी धर्मशाला की प्रतिमा का संदेश था अब नहीं होगा नारी पर अत्याचार. इसमें कहा गया था महिलाओं को तलवार, बंदूक चलाना और लाठी सीखना चाहिए, उस सबसे बेहतर यह होगा कि महिलाओं को पढ़ लिखकर काबिल बनना होगा.

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