मुंगेर. मुंगेर विश्वविद्यालय के लिए यह सप्ताह हंगामेदार रहा है. प्रोन्नति के मामले के बीच विश्वविद्यालय में सालों से कई कार्य अधूरे पड़े हैं. जिसके लिये न तो विश्वविद्यालय प्रशासन सजग है और न ही विश्वविद्यालय के विकास के लिये जिम्मेदार सदस्य. हाल यह है कि जहां विश्वविद्यालय में वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट अनुमोदन को लेकर सिंडिकेट और सीनेट की बैठक अबतक नहीं हो पायी है. वहीं सालों से विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न शिक्षकों और कर्मियों को दिया गया करोड़ों रुपये का एडवांस सेटलमेंट हो पाया है. जबकि एमयू के 20 पीजी विभागों के लिये पद सृजन का मामला अबतक अधूरा पड़ा है.
नहीं हो पायी सीनेट की बैठक
एमयू प्रशासन को वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट अनुमोदन को लेकर फरवरी या मार्च माह में सिंडिकेट व सीनेट का बैठक आयोजित करना था, लेकिन वित्तीय वर्ष का 5 माह बाद भी अबतक विश्वविद्यालय अपने बजट के लिये सिंडिकेट और सीनेट बैठक आयोजित नहीं कर पाया है. हलांकि शनिवार को विश्वविद्यालय में सिंडिकेट की बैठक आयोजित की गयी. लेकिन उसमें केवल शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मियों के प्रमोशन मामले पर ही चर्चा हो पायी. साथ ही केवल इन दोनों मामलों पर ही सिंडिकेट सदस्यों द्वारा स्वीकृति प्रदान की गयी. कुल मिलाकर कहा जाये तो मुंगेर विश्वविद्यालय के वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट को अबतक विश्वविद्यालय के दोनों सक्षम प्राधिकार से अनुमोदन नहीं मिल पाया है.
3.75 करोड़ रुपये का एडवांस सेटलमेंट अबतक अधूरा
मुंगेर. एमयू के विभिन्न संबद्ध कॉलेजों और विश्वविद्यालय के अधिकारियों व कर्मियों पर लगभग 3.75 करोड़ रूपये का एडवांस है. जिसमें विश्वविद्यालय के अधिकारियों व कर्मियों को एमयू में आयोजित कई कार्यक्रमों व बैठकों के लिये दिया गया है. जबकि संबद्ध कॉलेजों पर परीक्षा संबंधित कार्यों के लिये पूर्व में कुल राशि का 75 प्रतिशत एडवांस है. जिसका सेटलमेंट विश्वविद्यालय 6 सालों में नहीं कर पाया है. वही पूर्व के एडवांस राशि का सेटलमेंट नहीं होने के कारण वर्तमान में परीक्षा कार्यों के लिए विश्वविद्यालय द्वारा संबद्ध कॉलेजों को एडवांस नहीं दिया जा रहा है. जिसके कारण अब खुद विश्वविद्यालय पर अपने ही संबद्ध कॉलेजों के परीक्षा संबंधी कार्यों का बिल बढ़ता जा रहा है. हालांकि एडवांस सेटलमेंट नहीं होने के कारण संबद्ध कॉलेजों भी परेशान है, क्योंकि एडवांस राशि का सेटलमेंट होने के बाद ही परीक्षा संबंधित कार्यों का शेष 25 प्रतिशत राशि कॉलेजों को मिलना है. यह हाल तब है, जब फरवरी माह में ही भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) टीम द्वारा अपने ऑडिट के दौरान विश्वविद्यालय को जल्द से जल्द एडवांस सेटलमेंट करने को कहा गया था.20 पीजी विभागों के पद सृजन का मामला अबतक लंबित
मुंगेर. एमयू द्वारा साल 2021 में ही 20 पीजी विभागों को आरंभ किया गया है. हालांकि विश्वविद्यालय के पास इन 6 सालों में अपना भवन नहीं होने के कारण 20 पीजी विभाग खुद एमयू के कॉलेजों में संचालित किये जा रहे हैं. जबकि पीजी विभाग आरंभ होने के 4 साल बाद भी विश्वविद्यालय अबतक अपने पीजी विभागों के लिये पद सृजन की स्वीकृति सरकार से नहीं ले पाया है. वहीं अबतक एमयू प्रशासन अपने पीजी विभागों के लिये फंड का प्रावधान तक नहीं कर पाया है. जिसके कारण एमयू के अधिकांश पीजी विभाग की हालत बदहाल है, जहां आंतरिक परीक्षा लेने और अन्य शैक्षणिक प्रक्रियाओं के लिये भी विभागों के पास फंड नहीं है. कुल मिलाकर कहा जाये तो एमयू के कॉलेजों में बदहाल व्यवस्था की तरह ही विश्वविद्यालय के पीजी विभागों में भी विद्यार्थी अपनी शिक्षा पूरी कर रहे हैं.B
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