मुंगेर के एकमात्र होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज के अस्तित्व पर संकट, 6 प्रोफेसर के सहारे खुद को बचाने की कर रहा जद्दोजहद

मुंगेर. 1964 में स्थापित दी टेंपल ऑफ हैनिमैन होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल का अतीत जितना गौरवशाली रहा, वर्तमान उससे कहीं अधिक धूमिल हो चुकी है. वर्ष 2017 से ही जहां इस मेडिकल कॉलेज में नामांकन बंद है, वहीं इंटर्नशिप कर रहे छात्र-छात्राओं का अंतिम बैच मार्च 2025 में निकल जायेगा. दुर्भाग्य यह है कि […]

By Anand Shekhar | May 19, 2024 6:05 AM

मुंगेर. 1964 में स्थापित दी टेंपल ऑफ हैनिमैन होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल का अतीत जितना गौरवशाली रहा, वर्तमान उससे कहीं अधिक धूमिल हो चुकी है. वर्ष 2017 से ही जहां इस मेडिकल कॉलेज में नामांकन बंद है, वहीं इंटर्नशिप कर रहे छात्र-छात्राओं का अंतिम बैच मार्च 2025 में निकल जायेगा. दुर्भाग्य यह है कि इस कॉलेज का नोडल हेड जिलाधिकारी मुंगेर है. बावजूद संसाधनों का घोर अभाव और छह प्रोफेसर के दम पर मुंगेर प्रमंडल का एकमात्र होमियोपैथिक कॉलेज आज अपना अस्तित्व बचाने की जद्दोजहद कर रहा है.

12 विषयों को पढ़ाने के लिए मात्र बचे है छह प्रोफेसर

दी टेंपुल ऑफ हैनिमैन होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज में 12 विषयों की पढ़ाई होती है. जिसमें एनाटोमी, फिजियोलॉजी, फार्मेसी, आर्गेनन, मैटेरिया मेडिका, पैथोलॉजी, फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सीकोलॉजी, सर्जरी, गायनोकोलॉजी, प्रैक्टिस ऑफ मेडिसिन, रिजर्टरी एवं कम्युनिटी मेडिसिन शामिल है.

नियमानुसार हर विषय में अधिकतम एक प्रोफेसर, एक लेक्चरर एवं एक रीडर की तैनाती रहनी है. जिसके अनुसार कुल 36 शिक्षक होना चाहिए. जबकि अतिरिक्त 7 गेस्ट टीचर को तैनात किया जाना है. लेकिन वर्तमान समय में इस कॉलेज में मात्र 6 प्रोफेसर ही बचे है. जिसके दम पर यह कॉलेज खुद को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रही है.

वर्ष 2017 से ही बंद है कॉलेज में नामांकन

इस कॉलेज के साथ हर किसी ने नाइंसाफी की है. चाहे यहां के सांसद व विधायक हो, शासी निकाय हो या नोडल हेड अथवा कॉलेज के स्टाफ हो. सभी ने इसे डूबने के लिए छोड़ दिया. इस कॉलेज को 50 सीट आवंटित है. संसाधनों का अभाव एवं टीचरों की कमी के कारण आयुष मंत्रालय द्वारा वर्ष 2016 में ही इस कॉलेज में नामांकन पर रोक लगा दी.

जानकारों की माने तो 2016 में हाईकोर्ट के आदेश पर नामांकन हुआ था. लेकिन वर्ष 2017 में फिर से नामांकन पर रोक लग गयी. क्योंकि वर्ष 2017 में जांच के लिए पहुंची आयुष मंत्रालय की टीम ने इस होमियोपैथिक कॉलेज के मानकों में कई कमियां पायीं, जिसके बाद इस कॉलेज में नामांकन पर रोक लगा दिया गया.

प्रभार प्राचार्य के चक्कर में भी बर्बाद हो गया कॉलेज

कॉलेज के एक प्रोफेसर ने बताया कि इस कॉलेज को जिम्मेदारों ने कमाई का जरिया बना लिया था. दशकों से इस कॉलेज को स्थाई प्राचार्य नहीं मिला और यह मेडिकल कॉलेज प्रभार में चलता रहा. डॉ चंदन कुमार अंतिम स्थायी प्राचार्य थे. उसके बाद स्थायी प्राचार्य की नियुक्ति नहीं हुई. यह कॉलेज 50 सीटों की वार्षिक प्रवेश क्षमता के साथ बीआर अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर से संबद्ध है.

इस कॉलेज में हाल के दिनों में यह स्थिति रही है दो-दो प्रोफेसर खुद को प्राचार्य के रूप में स्थापित करने के चक्कर में लड़ते-लड़ते सेवानिवृत्त हो गये. वर्तमान समय में भी यह कॉलेज प्रभार में चल रहा है. हालांकि दो बार प्राचार्य, प्रोफेसर, लेक्चरर की नियुक्ति के लिए निविदा निकाली गयी. लेकिन गुटबाजी के चक्कर में उस पर आज तक अमल नहीं हो आया और अंतत: कॉलेज बर्बादी के कगार में पहुंच गया.

कहती हैं प्रभारी प्राचार्य

मेडिकल कॉलेज की प्रभारी प्रचार्य डॉ संध्या कुमारी ने बताया कि शासी निकाय ने वरीयता के आधार पर उनको तत्काल प्रभारी प्राचार्य के पद पर तैनात किया है. अंतिम बैच के 14 बच्चे यहां वर्तमान समय में इंटर्नशीप कर रहे है. जबकि 9 बच्चों का बिहार बोर्ड में रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया जिस कारण उनका इंटर्नशिप प्रभावित है. यहां पर संसाधनों के साथ ही प्रोफेसर, लेक्चरर और रीडर की कमी है. फिलहाल सात वर्षों से यहां नामांकन नहीं हो रहा है.

अंतिम बैच कर रहा इंटर्नशिप, मार्च 2025 में होगी विदाई

वर्ष 2017 में यहां नामांकन हुआ था. जिसके बाद से नामांकन पर रोक लगा दी गयी. इस वर्ष एडमिशन लेने वाले छात्र-छात्रा पास आउट हो गये है. जो वर्तमान में इस कॉलेज के अस्पताल में इंटर्नशिप कर रहे है. विडंबना है कि बिना आउटडोर, इनडोर और ओपीडी के ही छात्र-छात्रा इंटर्नशिप के नाम पर खानापूर्ति कर रहे है. यहां पर वर्तमान समय में 24 में मात्र 14 छात्र ही इंटर्नशिप कर रहे है. यह बैच मार्च 2025 में निकल जायेगी और इस कॉलेज में पठन-पाठन पूरी तरह से ठप हो जायेगी.

9 छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ हो रहा खिलबाड़

अंतिम बैच में 24 छात्र-छात्रा पास आउट हुए है. पास आउट होने के बाद उनको इंटर्नशीप करना है. जिसके लिए छात्र-छात्राओं का रजिस्ट्रेशन बिहार बोर्ड में होना जरूरी है. रजिस्ट्रेशन कराने की जिम्मेदारी कॉलेज प्रबंधन की है. सूत्रों की माने तो यहां एक लिपिक है जो वर्तमान समय में निलंबित है. वहीं लिपिक छात्र-छात्राओं का रजिस्ट्रेशन कराने का काम देखता था. लेकिन जिन छात्र-छात्राओं ने उक्त लिपिक को चढ़ावा चढ़ाया, उसका रजिस्ट्रेशन करा दिया गया, जिसने चढ़ावा नहीं चढ़ाया उसका रजिस्ट्रेशन नहीं कराया. जिसके कारण 9 छात्र-छात्रा का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया और वह इंटर्नशिप से वंचित रह रहे.

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