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विश्व आदिवासी दिवस पर आदिवासियों ने निकाला जुलूस, अपने हक की लगाई आवाज

वन अधिकार कानून बदले जाने से आदिवासी विस्थापन का दंश झेलने को मजबूर

वन अधिकार कानून बदले जाने से आदिवासी विस्थापन का दंश झेलने को मजबूर, प्रतिनिधि, हवेली खड़गपुर. अखिल भारतीय जन अधिकार सुरक्षा कमेटी की हवेली खड़गपुर शाखा की ओर से शुक्रवार को गोबड्डा पंचायत के मंदारे गांव में विश्व आदिवासी दिवस पर आदिवासियों ने जुलूस निकाला और अपनी आवाज बुलंद की. अर्जुन सोरेन और रामजी हेंब्रम के नेतृत्व में ग्रामीणों ने आदिवासी नायकों के तस्वीर के साथ विभिन्न मांगों से जुड़ी तख्तियां लेकर जुलूस में शामिल हुए. जुलूस में शामिल लोग 9 अगस्त अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस जिंदाबाद, आदिवासियों को उनके निवास स्थान से विस्थापित करना बंद करो, सीएनटी-एसपीटी एक्ट से छेड़छाड़ बंद करो, वन अधिकार कानून 2006 का संशोधन करना बंद करो, वन अधिकार कानून 2019 संशोधन विधेयक वापस लो के नारे लगा रहे थे. जुलूस सिद्धो-कान्हू प्रतिमा स्थल पर पहुंचकर सभा में तब्दील हो गया. सभा को संबोधित करते हुए कमेटी के संरक्षक रमन सिंह ने कहा कि वर्ष 1994 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस घोषित किया है. 1995 से 2005 के दशक को आदिवासी दशक के रूप में भी घोषित किया गया. अपने हक और अधिकार के लिए तब से पूरा विश्व प्रतीक के तौर पर 9 अगस्त को आदिवासी दिवस मनाता आ रहा है. उन्होंने कहा कि आज आदिवासियों का हक छीना जा रहा है. पुनः विद्रोह की तैयारी करना समय की मांग है. अर्जुन सोरेन ने कहा कि आज वन अधिकार कानून को बदला जा रहा है. इससे लाखों आदिवासी परिवार विस्थापन का दंश झेलने को मजबूर हैं. मौके पर मुन्ना हासदा, रघुवीर मरांडी, सुनीता देवी, गोविंद मिश्रा, सुगती कुमारी, चुटकी देवी, पार्वती देवी, संजय सोरेन समेत अनेक ग्रामीण मौजूद थे.

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