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कुलपति का अधिकार सीमित होने के बाद एमयू के कई मामलों पर लगा ग्रहण

खुद एमयू की लापरवाही ने बढ़ायी परेशानी

प्रतिनिधि, मुंगेर. कुलाधिपति द्वारा मुंगेर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो श्यामा राय के अधिकारों को सीमित कर दिये जाने के बाद अब विश्वविद्यालय के कई मामलों पर ग्रहण लग गया है. एक ओर जहां एमयू की लंबी प्रक्रिया के कारण अब शिक्षक प्रमोशन का मामला अधर में लटक गया है. वहीं अनुकंपा पर नियुक्ति सहित सीनेट बैठक का मामला भी अधर में लटका दिखाई पड़ रहा है. कुल मिलाकर कहा जाये तो हाल के दिनों में शिक्षक प्रमोशन के बीच जहां एमयू के शिक्षकों के बीच ही प्रमोशन को लेकर अलगाव नजर आया. वहीं अब कुलपति का अधिकार सीमित होने के बाद प्रमोशन के मामले पर ग्रहण लग गया है. कुलाधिपति द्वारा एमयू की कुलपति के नीतिगत निर्णय व वित्तीय मामलों में निर्णय के अधिकार पर रोक लगा दिया है. हालांकि, कुलपति का कार्यकाल 18 अगस्त को समाप्त हो जायेगा. ऐसे में अब पिछले 5 माह से एमयू में चल रहे शिक्षक प्रमोशन मामले पर ग्रहण लग गया है. विदित हो कि शिक्षक प्रमोशन को लेकर जहां साल 2017 से 2019 तक नियुक्त बीपीएससी के शिक्षक व पूर्व के शिक्षकों के बीच दूरी बन गयी थी. वहीं एमयू में इन दिनों अधिकारियों के बीच आंतरिक मतभेद भी शुरू हो गया. अब एमयू के शिक्षकों के प्रमोशन मामले पर फिलहाल ग्रहण लग गया है. खुद एमयू की लापरवाही ने बढ़ायी परेशानी. शिक्षक प्रमोशन के मामले पर खुद एमयू ने अपनी परेशानी बढ़ा दी है. बता दें कि फरवरी माह में ही शिक्षक प्रमोशन को लेकर बनी कमेटी के संयोजक के इस्तीफा दे दिये जाने के करीब दो माह बाद अप्रैल में एमयू द्वारा दोबारा संयोजक की नियुक्ति की गयी. इस कारण शिक्षकों के दस्तावेजों के स्क्रूटनी का मामला करीब दो माह तक अटका रहा. विश्वविद्यालय में अधिकारियों द्वारा कार्यालय समय में भी शिक्षकों के दस्तावेजों की स्क्रूटनी की जा सकती थी. अब मामला चाहे, जो हो कुलपति के अधिकारों को सीमित किये जाने के बाद एमयू के शिक्षकों को अपने प्रमोशन के लिये अभी और इंतजार करना होगा. अनुकंपा पर नियुक्ति व सीनेट बैठक पर भी संशय मुंगेर. कुलपति के अधिकारों को सीमित किये जाने के बाद न केवल एमयू के शिक्षक प्रमोशन का मामला लटक गया है, वहीं अब अनुकंपा आश्रितों को भी अपनी नियुक्ति के लिए इंतजार करना होगा, जबकि एमयू के छठे सीनेट बैठक पर भी संशय बढ़ गया है. हालांकि, अनुकंपा आश्रितों की पूर्व में हुई नियुक्ति प्रक्रिया पर अब वैसे ही सवाल उठाने लगा है. इसमें सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब पूर्व की नियुक्ति प्रक्रिया में कुल 15 अनुकंपा आश्रितों के दस्तावेजों को सही पाया गया था तो उस दौरान केवल 6 अनुकंपा आश्रितों की नियुक्ति ही क्यों की गयी, जबकि एमयू आरंभ से ही कर्मचारियों की कमी का राग अलाप रहा है.

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