प्रमोशन के बाद थम गयी एमयू में समस्याओं को लेकर आवाज

अगस्त माह से ही अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के शिक्षक अपने प्रमोशन की आस में बैठे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | November 4, 2024 6:39 PM
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– अगस्त माह में प्रमोशन के लिए आंदोलन के बाद अब संघ पूरी तरह मौन

– शिक्षक व कर्मचारी संघ के बीच दरार के बीच बंटने लगे हैं शिक्षक व कर्मी

मुंगेर

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मुंगेर विश्वविद्यालय में अगस्त माह में शिक्षक प्रमोशन को लेकर हुए आंदोलन के बाद अब शिक्षकों और कर्मियों की समस्याओं को लेकर आवाज पूरी तरह थम सा गया है. वहीं एमयू के शिक्षक और कर्मचारी संघ में बढ़ रही दरार के बीच विश्वविद्यालय में शिक्षकों और कर्मियों की समस्याएं भी बढ़ने लगी है. जबकि अपने ही शिक्षकों और कर्मियों की मांगों को लेकर संघ तक मौन बना हुआ है.

थम गयी समस्याओं को लेकर आंदोलन

एमयू में अगस्त माह से ही अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के शिक्षक अपने प्रमोशन की आस में बैठे हैं. जबकि कई शिक्षकेतर कर्मचारी भी प्रमोशन नहीं मिलने के कारण नाराज है. हलांकि अपने मांगों के पूरा होने की आस में बैठे शिक्षकों और कर्मियों को स्थायी कुलपति मिलने तक इंतजार करने का आश्वासन दिया जा रहा है, लेकिन अगस्त माह में प्रमोशन को लेकर हुए आंदोलन के बाद अब प्रमोशन और अन्य परेशानियों से जूझ रहे शिक्षकों व कर्मियों के लिए आवश्वासन केवल खानापूर्ति साबित हो रहा है. इसके अतिरिक्त अनुकंपा पर नियुक्ति को लेकर इंतजार में बैठे अनुकंपा आश्रितों को तो अब आश्वासन तक नहीं मिल रहा. वहीं अब तो एमयू में शिक्षकों व कर्मियों के मांगों को लेकर उनके संघों की आवाज तक थम गयी है.

संघों में दरार बढ़ा रही शिक्षकों व कर्मियों की परेशानी

बता दें कि एमयू में प्रमोशन मामले को लेकर ही न केवल शिक्षक संघ, बल्कि शिक्षकेत्तर कर्मचारी संघ में भी लगभग दरार पड़ चुकी है. जिसके कारण अब खुद एमयू के शिक्षकों और कर्मियों की समस्याएं भी बढ़ने लगी है. वित्त विभाग के कर्मी गोपाल कुमार ने बताया कि शिक्षकेत्तर कर्मचारी संघ के अधिकारी खुद कर्मियों की समस्याओं को लेकर पूरी तरह मौन है. केवल कुछ गिने-चुने लोगों को ही सुविधा दिलाने के लिये अधिकारी आंदोलन करते हैं. जबकि शेष कर्मियों की मांगों को वैसे ही छोड़ दिया जाता है. वहीं शिक्षक संघ के बीच दरार अगस्त माह में प्रमोशन को लेकर हुये आंदोलन के दौरान ही देखने को मिल गया था. जिसमें अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के शिक्षक अलग से ही धरने पर विश्वविद्यालय में बैठ गये थे.

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