पटना के रविन्द्र भवन में सजेगी संगीत की महफिल, याद किये जाएंगे पं किशन महाराज

यह आयोजन पूर्व सांसद रवीन्द्र किशोर सिन्हा की ओर से किया जा रहा है. बनारस घराने के सुप्रसिद्ध तबला सम्राट पदमविभूषण पंडित किशन महाराज को कला के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए 1973 में पद्मश्री और 2002 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 20, 2023 8:54 PM

पटना. राजधानी पटना में काफी लंबे अर्से के बाद एक बार फिर से शास्त्रीय संगीत की महफिल सजने वाली है. बनारस घराने के सुप्रसिद्ध तबला सम्राट पदमविभूषण पंडित किशन महाराज के जन्म शताब्दी के अवसर एक सुरमयी शाम का आयोजन किया जा रहा है. यह आयोजन पूर्व सांसद रवीन्द्र किशोर सिन्हा की ओर से किया जा रहा है. बनारस घराने के सुप्रसिद्ध तबला सम्राट पदमविभूषण पंडित किशन महाराज को कला के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए 1973 में पद्मश्री और 2002 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.

पटना के रविन्द्र भवन में होगा कार्यक्रम 

कार्यक्रम की जानकारी देते हुए पूर्व सांसद आरके सिन्हा ने पंडित किशन महाराज की याद में रविवार को पटना के रविन्द्र भवन में संध्या 5:30 बजे से एक शास्त्रीय संगीत संध्या आयोजित है. इसमें देश की लब्ध प्रतिष्ठित शास्त्रीय गायिका विदुषी इन्द्राणी मुखर्जी (कोलकाता) के शास्त्रीय गायन के साथ मुंबई की ख्यातिप्राप्त वायलिन वादक नन्दनी शंकर अपना कार्यक्रम पेश करेंगी. इनके साथ कोलकाता के अभिषेक चटर्जी तबला, पंडित शुभ महाराज (वाराणसी) तबला और कोलकाता के द्वैपायन राय हारमोनियम पर संगत करेंगे. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में डा. अजीत प्रधान, हार्ट सर्जन, जीवक हार्ट हॉस्पिटल, पटना उपस्थित रहेंगे.


उनके प्रति हमारी श्रद्धांजलि होगी

रवीन्द्र किशोर सिन्हा ने कहा कि बड़े पैमाने पर ऐसे महान कलाकारों को याद कर कार्यक्रम आयोजित करना उनके प्रति हमारी श्रद्धांजलि होगी. आज भाग दौड़ की जिन्दगी में नई पीढ़ी तमाम महान कलाकारों के योगदानों को भूलती जा रही है या जानती तक नहीं है. ऐसे में हमारा दायित्व बनता है कि ऐसे आयोजन कर उनके कृतित्व को शास्त्रीय संगीत प्रेमियों और युवाओं तक पहुंचाए जिससे आने वाली पीढ़ियों को भी उससे अवगत कराया जा सकें. आरके सिन्हा ने कहा कि पंडित किशन महाराज का व्यक्तित्व अत्यंत प्रभावशाली था. माथे पर लाल रंग का टीका लगा जब वे संगीत सभाओं में पहुंचते थे, तो संगीत सभायें लय ताल से परिपूर्ण हो गंधर्व सभाओं की तरह संगीतमय हो जाती थीं. उन्होंने कहा कि शताब्दी समारोह में आने वाले कलाकार अपने अपने क्षेत्र के सिद्धहस्त कलाकार है जिनको सुन कर राजधानी के लोग भाव विभोर हो जायेंगे.

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