मुजफ्फरपुर में चलने-फिरने में असहाय गवाह के पास कोर्ट रूम से निकल पहुंचे एडीजे, ऐसे दर्ज किया गया बयान
मुजफ्फरपुर में एडीजे-12 दिनेश कुमार प्रधान ने एक बार फिर मानवता का परिचय दिया है. सोमवार को मारपीट व जानलेवा हमले के मामले में उनके कोर्ट में रादुलार राय और उनके दोनों पुत्र रामबाबू राय व राम प्रवेश राय के विरुद्ध आरोप गठन होना था. मामले में बयान दर्ज करने के लिए एडीजे कोर्ट रुम से बाहर गए.
मुजफ्फरपुर में एडीजे-12 दिनेश कुमार प्रधान ने एक बार फिर मानवता का परिचय दिया है. सोमवार को मारपीट व जानलेवा हमले के मामले में उनके कोर्ट में रादुलार राय और उनके दोनों पुत्र रामबाबू राय व राम प्रवेश राय के विरुद्ध आरोप गठन होना था. इसी बीच अधिवक्ता ने उन्हें बताया कि उनके मुवक्किल रामदुलार राय काफी बुजुर्ग हैं.वे लकवा रोग से ग्रसित हैं. वे चल फिर नहीं सकते. कोर्ट परिसर में ही नीचे गाड़ी में बैठै हैं. यह सुनते ही एडीजे 12 दिनेश कुमार प्रधान अपने पीठ लिपिक मकबूल अहमद के साथ इजलास से उतरकर नीचे पहुंच गये. आरोपी को आरोप का सारांश सुनाया और आरोप गठित करते हुए सुनवाई के लिए 22 फरवरी की अगली तिथि निर्धारित कर दी. तीनों के विरुद्ध औराई पुलिस ने 21 मार्च 2016 को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी.
13 साल पुराना था मारपीट का मामला
औराई थाना के घनश्यामपुर निवासी सीताराम राय, उनके पुत्र व भाई पर जानलेवा हमला कर 23 जुलाई 2010 को बुरी तरह घायल कर दिया गया था. उनके बयान पर रामबाबू राय, राम प्रवेश राय , दुलार राय एवं अन्य के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, घटना के सीताराम राय अपने घर से जामुन महतो के घर धरहरवा जमीन रजिस्ट्री के लिए जा रहे थे. जैसे ही धरहरवा पुल पर पहुंचे कि पहले से घात लगाए रामबाबू राय, रामप्रवेश राय, गोपी राय ने पकड़ कर मारपीट की. वहां से घनश्यामपुर शिवजी राय के घर के नजदीक ले आये और उसी समय अजय राय ,पलटन राय किशोरी राय,मुन्नी राय अमीरी राय ,रंजीत राय, किशोरी राय, दुलार राय आदि मारपीट की. सब बोल रहे थे कि जमीन जब हम खरीद रहे हैं तो तुम क्यों ले रहा है. हल्ला पर जब मेरा भाई लक्ष्मी राय मुझे बचाने आया तो सभी ने मेरे भाई को जान मारने की नियत से लाठी डंडा से पीट कर घायल कर दिया.दुलार राय ने सभी को बोला था कि लक्ष्मी राय को जान से मार दो, बचना नहीं चाहिए.सभी ने मारपीट कर मेरे पास से 30 हजार रुपये छीन लिया और उस पैसा को शिवजी राय को दे दिया. बाद में पैसा मुझे वापस लौटा दिया.