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Bank: आप अदाणी के चक्कर में लगे रहे, बिहार के इस जिले में बैंकों के 344 करोड़ डूबे, जानें आप पर क्या होगा असर

Bank: मुजफ्फरपुर में 27962 खातों में बैंकों का 344.76 करोड़ रुपये खराब लोन (NPA) में फंसा हुआ है. सबसे अधिक एनपीए प्राथमिक क्षेत्र के लोन में होते हैं. इसमें कृषि, एमएसएमई, होम लोन आदि आते हैं. एनपीए खातों के निष्पादन की प्रक्रिया काफी धीमी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 10, 2023 7:46 AM

Bank: मुजफ्फरपुर में 27962 खातों में बैंकों का 344.76 करोड़ रुपये खराब लोन (NPA) में फंसा हुआ है. सबसे अधिक एनपीए प्राथमिक क्षेत्र के लोन में होते हैं. इसमें कृषि, एमएसएमई, होम लोन आदि आते हैं. एनपीए खातों के निष्पादन की प्रक्रिया काफी धीमी है. व्यावसायिक क्षेत्र में लोन के पीछे सरकार का मकसद रोजगार को बढ़ावा देना है. बैंकों द्वारा समय समय पर खराब खातों में समझौता को लेकर हर दो से तीन माह पर ओटीएस (One Time Settlement) योजना लायी जाती है. इसमें मूलधन की राशि को छोड़ कर ब्याज की राशि में खाताधारियों को छूट प्रदान की जाती है. यह छूट ग्राहक के आर्थिक स्थिति को देखते हुए दी जाती है. व्हीलफुल डिफॉल्टर जो ऋण चुकता करने में सक्षम है, लेकिन वे ऋण की अदायगी नहीं कर रहे हैं, उन्हें अधिक छूट नहीं मिलती है. बावजूद इसके एनपीए में कोई खास कमी नहीं हो रही है. बीपीबीइए के महामंत्री चंदन कुमार ने बताया कि रिकवरी में ध्यान दिया जाये, तो बैंक को लाभ होगा और वहीं नये जरूरतमंद को अधिक से अधिक लोन मुहैया होगा.

लीगल नोटिस के बाद 30 प्रतिशत ही वापस टर्नअप होते

बैंक का कोई ऋणी लगातार तीन महीना तक किस्त जमा नहीं करता है, तो उनका खाता एनपीए हो जाता है. इसके बाद बैंक की ओर से ऋणी को लीगल नोटिस भेजा जाता है कि एक माह के अंदर बकाया किस्त का भुगतान कर अपना खाता रेगुलर करें. जब इसके बाद भी कोई जवाब नहीं मिलता है, तो 30 दिन के बाद सरफेशी एक्ट 2002 के तहत 13/2 नोटिस जाता है जिसकी अवधि 60 दिन की होती है. इन 60 दिनों के बाद ऋणी द्वारा पहल नहीं होने पर 13/4 का नोटिस भेजा जाता है जिसकी अवधि 30 दिन की होती है.

मॉर्गेज प्रोपर्टी पर कब्जा करेगा बैंक

रिकवरी एजेंसी के प्रोपराइटर अजय कुमार सिंह ने बताया कि इन नोटिस के बाद बैंक प्रबंधन जिला प्रशासन की मदद से ऋण में मॉर्गेज प्रोपर्टी पर सांकेतिक या भौतिक कब्जा के लिए मदद लेता है. मजिस्ट्रेट बहाल होने के बाद उनकी मौजूदगी में बैंक प्रबंधन प्रोपर्टी पर कब्जा करता है. इसके बाद उसकी नीलामी की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. नीलामी के फाइनल होने के पूरा होने से पहले तक छुड़ा सकते है, लेकिन उसकी कीमत वहीं होगी जो बिडर ने नीलामी में लगायी होगी. प्रॉपर्टी नीलाम होने के बाद जो रकम मिलती है, बैंक प्रबंधन उस रकम से बकाया ऋण की राशि लेकर शेष राशि का चेक ऋणी को उपलब्ध करा देता है. बैंक द्वारा नीलामी में ऋण की राशि के साथ उसके वसूली की कार्रवाई में जो खर्च आता है, वह भी उस राशि से कटौती की जाती है.

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