Muzaffarpur Central Jail में बंद कैदी कागज पर लिख रहे पत्नी का नाम, जानें क्या है मामला
Muzaffarpur Central Jail में बंद कैदियों के लिए सरकार के द्वारा स्पेशल योजना चलायी जा रही है. इस योजना के तहत जेल में बंद निरक्षर कैदियों को पढ़ाई लिखाई से जोड़ने की कोशिश की जा रही है. इसके तहत जेल में बंद 963 कैदियों का चयन किया गया है.
जिस उम्र में शिक्षा ग्रहण करना था, उस समय राह से भटक गया. हालात ऐसी बनी की जेल की चाहरदीवारी में कैद होना पड़ा. शिक्षित नहीं होने के कारण न तो अपने हक के बारे में कुछ पता ना कोई अधिकार बताने वाला मिला. ऐसे में निरक्षर बंदियों को साक्षर बनाने की जो पहल सेंट्रल जेल में शुरू हुई है. इससे बंदियों में काफी उत्साह देखने को मिल रही है. 10 अक्टूबर से पायलट प्रोजेक्ट के तहत शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में बंद 963 निरक्षर बंदियों को साक्षर किया जा रहा है. तीन शिक्षक मुकेश कुमार , नीरज कुमार और मनोज कुमार, सुबह दस से लेकर दोपहर के तीन बजे तक बंदियों का क्लास ले रहे हैं.
200 कैदी सीख रहे ककहरा
बंदियों में साक्षर होने की जिज्ञासा को देखते हुए तीनों शिक्षक भी काफी प्रसन्न हैं. बंदियों का क्लास लेने वाले शिक्षक मुकेश कुमार ने बताया कि पिछले नौ दिनों से वे लोग बंदियों का क्लास ले रहे हैं. उनके बीच अपना नाम, पता और रिश्तेदारों का नाम सीखने की गजब की जिज्ञासा दिख रही है. 200 से अधिक कैदियों ने ककहरा सिखाया जा रहा है. वहीं, कई बंदियों का झुकाव ए, बी, सी, डी सीखने की ओर है. कोई अपना नाम तो कोई पत्नी का नाम सीख रहा है. पढ़ाई के दौरान बंदियों को बोरिंग फील ना हो इसके लिए उनके बीच समय-समय पर मनोरंजन से संबंधित गतिविधि भी संचालित की जा रही है.
नाजिम ने सबसे लिखना सीखा अपना नाम
जिले के बंगरा का रहने वाला बंदी ने सबसे पहले अपना नाम लिखना सिखा है. बताने पर वह अपने पिता का भी नाम लिख ले रहा है. आगे पत्नी का नाम लिखना सीखने की उसने इच्छा जाहिर की है. नाजिम का कहना है कि जब जेल से बाहर निकलेगा तो वह अपनी पत्नी को नाम लिख कर दिखाना है. निरक्षर रहने का ठप्पा उसके ऊपर से हट जाएगा. जेल अधीक्षक ब्रिजेश सिंह मेहता ने बताया कि सेंट्रल जेल के निरक्षर बंदियों को लगातार साक्षर बनाने को लेकर क्लास चल रही है. तीनों शिक्षक पूरी इमानदारी से बंदियों को पढ़ा रहे हैं. साक्षर बनने को लेकर बंदियों में भी काफी उत्साह दिख रहा है.