मुजफ्फरपुर में एइएस (चमकी बुखार) का पहला केस इस साल जनवरी माह में ही मिल गया है. मीनापुर के वासुदेव छपरा गांव के एक बच्चे में एइएस की पुष्टि हुई है. हालांकि इलाज के बाद बच्चे की हालत में सुधार है. इसके बाद उसे एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड से डिस्चार्ज कर दिया गया है. इस साल दूसरे बच्चे में एइएस की पुष्टि होने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप है. विभाग की टीम को अलर्ट मोड पर रखा गया है. आमतौर पर चमकी बुखार के मामले गर्मी शुरू होने बाद ही सामने आते थे. मगर इस बार मामले जनवरी में आने से डॉक्टर भी परेशान हैं. बताया जाता है कि एइएस मच्छर के काटने से होता है.
इस साल मिले दो मरीज
विभाग के अनुसार एसकेएमसीएच के पीकू अस्पताल में मीनापुर के वासुदेव छपरा के रविंद्र कुमार के छह वर्षीय पुत्र रितिक कुमार की 23 जनवरी काे सैंपल जांच करायी गयी. जांच रिपाेर्ट में एइएस की पुष्टि की गयी. डाॅ गाेपाल शंकर सहनी ने बताया कि बच्चे काे मीनापुर पीएचसी से रेफर किया गया था. उसे चमकी व बुखार था. इससे पहले माेतिहारी के कल्याणपुर थाने के अंकित कुमार नामक एक बच्चे में एइएस की पुष्टि हाे चुकी है. इधर केजरीवाल अस्पताल में 21 जनवरी को पूसा के एक बच्चे में हाइ फीवर से एइएस की आशंका पर हड़कंप था.
मीनापुर में मिला एइएस का पहला मरीज
एइएस के सबसे अधिक मामले हर साल मीनापुर से ही आते हैं. रविंद्र कुमार के छह वर्षीय पुत्र रितिक कुमार को तेज बुखार व चमकी के कारण पीएचसी मीनापुर लाया गया था. यहां चिकित्सकों ने जांच प्रक्रिया पूरी करने के बाद बच्चे में एइएस के पूर्ण लक्षण पाये जाने के बाद उसे संदिग्ध मानते हुए एसकेएमसीएच रेफर कर दिया. डॉ गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि मीनापुर पीएचसी में इस वर्ष चमकी-बुखार का पहला संदिग्ध मरीज सामने आया है. जिसे सघन चिकित्सा के लिए एसकेएमसीएच भेजा गया है. उसमें एइएस के सारे लक्षण थे. उन्होंने अपील की कि बच्चे को रात में किसी भी परिस्थिति में भूखा नहीं सोने दें और रात्रि में भोजन के बाद मीठा अवश्य खिलाएं. अगर तेज बुखार हो, तो सीधे अस्पताल लेकर जाएं. ओझा-गुनी के चक्कर में रहने की जरूरत नहीं है.