मुजफ्फरपुर सहित अन्य जिलों के 10 हजार से अधिक छात्र प्राइवेट कॉलेजों की मनमानी व फर्जीवाड़े का शिकार हो गये हैं. बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के स्नातक सत्र 2020-23 के लिए मान्यता नहीं होने के बावजूद इन कॉलेजों ने एडमिशन ले लिया है. पिछले दिनों रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी हुई, तब तक कॉलेज सुस्त पड़े रहे. बुधवार से जब प्रथम वर्ष की परीक्षा के लिए फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू हुई, तो कॉलेज प्रबंधन की बेचैनी बढ़ गयी.
विवि के सूत्रों की मानें, तो ये कॉलेज मुजफ्फरपुर के साथ ही वैशाली, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण व सीतामढ़ी में स्थित हैं. इन कॉलेजों को सरकार की ओर से सत्र 2020-23 के लिए मान्यता नहीं मिली है. वर्ष 2020 में विवि स्तर से नामांकन की प्रक्रिया पूरी की गयी, जबकि इन कॉलेजों ने चुपके से नामांकन ले लिया. इसका कोई रिकॉर्ड विश्वविद्यालय के पास नहीं था.
इस सत्र के छात्रों की परीक्षा पिछले साल होनी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण विलंब हुआ. बुधवार से परीक्षा फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू हुई, तो कई काॅलेजों के प्रतिनिधि विवि पहुंच गये. छात्रों का रजिस्ट्रेशन कर पोर्टल पर नाम जुड़वाने के लिए दबाव बनाने लगे, ताकि परीक्षा फॉर्म भरवा सकें. हालांकि यूएमआइएस विभाग की ओर यह कहकर वापस लौटा दिया गया कि जब मान्यता नहीं थी तो नामांकन कैसे ले लिये.
छात्र-छात्राओं का डाटा ऑनलाइन करने के साथ ही सत्र 2020-23 से परीक्षा फॉर्म भरने की प्रक्रिया भी बदल गयी है. यूएमआइएस शाखा की ओर से सभी कॉलेजों को संबंधित छात्र-छात्राओं का भरा हुआ फॉर्म मेल पर भेज दिया गया है. इसे डाउनलोड कर कार्यालय से छात्रों को उपलब्ध कराया जाना है. छात्र उसे चेक करेंगे और कोई त्रुटि होने पर पेन से सुधार कर लेंगे, नहीं तो उस पर हस्ताक्षर कर परीक्षा शुल्क के साथ जमा कर देंगे. फर्जी नामांकन लेने वाले कॉलेजों को जब फॉर्म नहीं मिला, तो उनकी परेशानी बढ़ गयी.
इसके पहले सत्र 2019-22 में भी विवि के डेढ़ दर्जन संबद्ध डिग्री काॅलेजों में बिना मान्यता के ही 25 हजार छात्रों का नामांकन लेने का मामला सामने आया था. मामला सामने आने के बाद कुलपति ने कमेटी गठित कर जांच करायी, जिसमें सहायक कुलसचिव व काॅलेज प्रशासन के स्तर पर गलती सामने आयी थी. हालांकि विवि की ओर से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गयी, जिससे ऐसे काॅलेजों का मनोबल बढ़ गया.