सूबे के उद्योग मंत्री समीर कुमार महासेठ सोमवार को बियाडा पहुंचे. उन्होंने बियाडा के उद्यमियों की समस्या सुनने के बाद कहा कि नये नियम के बाद जिन उद्यमियों की जमीन का आवंटन रद्द किया गया है, उस पर विचार कर उसे कैंसिल किया जायेगा. उद्यमियों की जमीन का आवंटन रद्द करने पर तत्काल रोक लगा दी गयी है. एक दिन में 300 फैक्ट्रियों का निरीक्षण कर जिस जमीन का आवंटन रद्द किया गया है, उसकी भी समीक्षा होगी. इसमें अगर अधिकारी या कर्मचारी कहीं भी दोषी पाये गये, तो उन पर तुरंत कार्रवाई होगी. उन्होंने कहा कि बियाडा का इंफ्रास्ट्रक्चर भी बदला जायेगा.
उद्योग मंत्री ने केंद्र सरकार की नीतियों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उनकी इंस्पेक्टर नीति से व्यापारी व उद्यमी परेशान हैं. बिहार के उद्यमियों के लिए ही कानून बनता है, जबकि बड़े औद्योगिक घरानों के लिए कानून नहीं बनता है. अगर बियाडा में उद्योग चलाने वाले उद्यमी अपने प्रोडक्ट को और बेहतर बनाएं, तो उनके प्रोडक्ट की पहले बिहार में खरीदारी होगी, ताकि सरकार व उद्यमियों को इससे फायदा मिल सके. हम दूसरे देशों के प्रोडक्ट की खरीदारी करते हैं तो पैसा वहां जाता है. अपना प्रोडक्ट होगा, तो सरकार को तो इससे फायदा होगा ही, उद्यमियों को भी लाभ मिलेगा. उद्योग मंत्री ने कहा कि बियाडा की हर साल जो नीति बदल दी जा रही है, उसे पर भी विचार किया जायेगा. जो नीति लाभदायक होगी, उसे ही बियाडा के उद्यमियों के लिए लागू की जायेगी. इसके पूर्व उद्यमी संघ के अध्यक्ष नील कमल ने उद्योग मंत्री का शॉल ओढ़ा कर स्वागत किया.
संजीव कुमार ने कहा कि एक उद्यमी अपना उद्योग लगाने के लिए हर विभाग से खुद ही काम करवा कर उद्योग खड़ा करता है. लेकिन बियाडा के अधिकारी उसे बढ़ावा देने के बजाय परेशान करने में लगे रहते हैं. बियाडा के अधिकारियों से उद्यमियों को कोई सहयोग नहीं मिलता है, बल्कि उनके द्वारा उद्यमी प्रताड़ित ही किये जाते हैं.
श्याम सुंदर भीमसेरिया ने कहा कि विभाग के अभी तक जो भी मंत्री व अधिकारी रहे हैं, उन्होंने बियाडा की आधारभूत संरचना पर ध्यान नहीं दिया. बियाडा हर साल अपनी उद्योग नीति के बदलाव कर देता है. इससे उद्यमियों को परेशानी होती है. अगर किसी उद्यमी को अपनी जमीन ट्रांसफर करनी हो, तो अगर उस जमीन की कीमत दो करोड़ है, तो उसे ट्रांसफर करने में भी दो करोड़ रुपये ही लगेंगे, ऐसी नीति बनायी गयी है. अगर कोई उद्योग बंद है, तो अधिकारी यह नहीं पूछते कि उद्योग क्यों बंद है, बल्कि उसकी जमीन का आवंटन रद्द करने में लग जाते हैं.
सचिव विक्रम कुमार ने कहा कि बियाडा जब जमीन आवंटन करती है, तो वह दस से बीस फुट गड्ढे में रहती है. उद्यमी उस जमीन पर मिट्टी भराई कर उद्योग लगाते हैं. इससे उद्यमियों का अधिकतर पैसा इसी में चला जाता है. यहां उद्यमियों के लिए लोकल बाजार नहीं है, जिसमें वे अपने उत्पाद बेच सकें. अगर ऐसा हो जाये, तो फैक्ट्री 24 घंटे चलेगी और सरकार व उद्यमी, दोनों को फायदा होगा.