किसी महिला का जाति प्रमाण पत्र अब उसके पति के नहीं बल्कि पिता की जाति के आधार पर बनेगा. नगर निकाय चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है. आयोग ने कई पुराने मामले का हवाला देते हुए कहा है कि जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने में अनियमितताएं बरती जाती हैं. इस संबंध में अब सख्ती बरती जायेगी़ ऐसे में 1907 से 1917 के बीच हुए सर्वे का राजस्व अभिलेख को प्रामाणिक माना जाये, जिसके आधार पर महिला की जाति का निर्धारण उसके पिता की जाति से किया जाये.
यह भी कहा गया है कि कुछ कर्मियों की मिलीभगत से गलत जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने के कई मामले पूर्व में आयोग के पास आये हैं. इससे एक ही पद पर बार-बार चुनाव करना पड़ता है. आयोग के पास ज्यादातर आपत्तियां पिछड़ा वर्ग एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग से संबंधित मामले में आये हैं. आयोग ने नगर निकाय चुनाव में गलत जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने वालों के विरुद्ध आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने को कहा है. वहीं पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों के मामले में विभागीय कार्रवाई की जायेगी.
आयोग के द्वारा साफ तौर पर बताया गया है कि ऐसे उम्मीदवार जो साफ तौर पर महिला या पुरुष की श्रेणी में नहीं आते हैं, उन्हें थर्ड जेंडर के रूप में परिभाषित किया जाता है. वे किसी भी अनारक्षित वार्ड के लिए नामांकन दाखिल कर सकते हैं. जिन लोगों के नाम वारंट निर्गत है और छह महीने से फरार हैं. वे उम्मीदवार के समर्थक या प्रस्तावक नहीं बन सकते हैं. उधर, प्रत्याशियों के लिए गाइड लाइन दी गयी है कि जिन मामले में वारंट निर्गत होने की अवधि छह महीने से कम है, वैसे प्रत्याशी सरेंडर करने के बाद ही नामांकन कर सकते हैं.