मुजफ्फरपुर में दिन का पारा नार्मल से 7.7 डिग्री कम, विजिबिलिटी केवल 40 मीटर, बन रहा सड़क हादसों का कारण
पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी से सर्दी का तेवर कम नहीं हो रहा है. पिछले एक सप्ताह से सर्दी का सितम जारी है. मंगलवार को भी आसमान में बादल छाए रहने से धूप नहीं निकला. वहीं, 40 मीटर तक विजिबिलिटी हो गयी.
पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी से सर्दी का तेवर कम नहीं हो रहा है. पिछले एक सप्ताह से सर्दी का सितम जारी है. मंगलवार को भी आसमान में बादल छाए रहने से धूप नहीं निकला. 40 मीटर तक विजिबिलिटी हो गया है. शाम होते कुहासा इतना घना हो जाता है कि एनएच पर वाहन को रोकना पड़ जाता है. येलो लाइट के सहारे वाहन धीमी गति से आगे बढ़ रहे है. दिन का तापमान नॉर्मल से 7.7 डिग्री कम हो गया है. हालांकि रात के तापमान में कुछ वृद्धि हुई है. न्यूनतम 7.4 डिग्री दर्ज किया गया है. शाम तीन बजे कुछ देर के लिए बादलों के ओट से हल्की धूप निकला. मौसम विभाग के मुताबिक फिलहाल कड़ाके की सर्दी से बहुत राहत नहीं मिलने वाली है. वैसे अगले दो दिन तक आसमान साफ रहेगा. दिन में धूप खिलेगी. इससे थोड़ी राहत मिल सकती है. लेकिन 12 जनवरी से रात का पारा तेजी से नीचे आएगा. इससे गलन वाली सर्दी महसूस होगी.
सड़क दुर्घटना रोकने को उठाने होंगे ठोस कदम
बढ़ रहे सड़क दुर्घटना और उस दौरान हो रही मौत को रोकने को लेकर सरकार की ओर बहुत सी घोषणाएं की जाती है. लेकिन जारी आदेश के तहत सड़कों पर जुर्माना होता है और उसके बाद अभियान थम जाता है. ऐसा कहा जाता है कि गाड़ियों की स्पीड लिमिट को कम करने को लेकर सख्ती करें. कॉमर्शियल वाहनों में स्पीड गर्वनर लगाने का नियम अनिवार्य कर दिया गया. लेकिन निजी गाड़ियों की स्पीड को कैसे कम किया जाये. इसको लेकर सरकार को बड़े स्तर पर स्पीड को कम करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है.
कंपनी से तय हो गाड़ियों की स्पीड लिमिट
कंपनी जो गाड़ियां मैन्यूफैक्चरिंग करके निकलती है, उसी में स्पीड की लिमिट तय कर दी जाये. इससे काफी हद तक स्पीड से हो रही दुर्घटनाओं पर रोक लगेगी. इसी तरह एनएच पर निर्धारित गति से तेज चलने वाले वाहनों का डाटा लिमिट डिवाइस में दर्ज हो, यह डाटा देश के सभी एनएच पर लगे डिवाइस में दिखे, ताकि वाहन दूसरे जगह भी यह गलती करे उसे आसानी से पकड़ा जा सके. डीटीओ सुशील कुमार व एमवीआइ रंजीत कुमार ने बताया कि स्पीड को लिमिट करने से काफी हद तक दुर्घटना पर रोक लग सकती है. साथ ही यातायात नियम के प्रति जागरूकता को लेकर व्यापक पैमाने पर इसके प्रचार प्रसार की आवश्यकता है. नॉर्थ इस्ट के कई राज्यों में जैसे असम, मेघालय, सिक्किम में लोग ओवरटेक नहीं करते. लेन में चलते है सड़क की पट्टी तक को क्रॉस नहीं करते.