मुजफ्फरपुर: जून-जुलाई में बाढ़ की आशंका के मद्देनजर इससे निबटने की तैयारी शुरू हो गयी है. जिले के आपदा प्रबंधन विभाग से 70 लाख रुपये की राशि मिली है. इसे बाढ़ प्रभावित अंचलों में आवंटित कर दिया गया है. 40 लाख रुपये खाद्यान्न के लिए और 30 लाख जनसंख्या निष्क्रमण मद में दिया गया है. खाद्यान्न आपूर्ति के लिए सभी अंचलों को दो-दो लाख दिये गये हैं. ताकि बाढ़ की स्थिति में खाद्यान्न की कमी से ना जूझना पड़े.
जिले में मानसून के आगमन के साथ 15 जून से बाढ़ का कहर शुरू हो जाता है. गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती सरीखी नदियां उफान पर रहती हैं. नदियों के रौद्र रूप लेने के बाद से ही बाढ़ पीड़ितों को सड़कों के किनारे और बांध पर शरण लेना पड़ता है. मुजफ्फरपुर-दरभंगा फोर लेन पर जहां गायघाट और आसपास के लोग आसरा लेते हैं. वहीं बूढ़ी गंडक नदी से प्रभावित लोग शहर में ही सिकंदर पुर बालू घाट इलाके में बांध पर अपना आशियाना बना रहने को मजबूर होते हैं. इसके अलावा प्रशासन की ओर से ऊंचे स्थानों पर राहत कैंप बनाया जाता है. इसमें बाढ़ पीड़ितों को दो बार भोजन दिया जाता है.
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पिछले अनुभव को देखते हुए इस बार बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल और जिला प्रशासन ने संयुक्त त्वरित कार्रवाई करते हुए तटबंध पर प्रति किमी एक मानव बल की तैनाती की है. जबकि प्रति 10 किलोमीटर पर एक कनीय अभियंता की तैनाती की गयी है. ये 15 जून से 24 घंटे तटबंध पर बने रहेंगे. वैसे तो फ्लड फाइटिंग और कटाव निरोधक कार्य के लिए विभाग ने तैयारी पूरी कर ली है. विभाग हर साल यही दावा करता है, लेकिन, तटबंध सुरक्षित नहीं रहते और स्थिति भयावह हो जाती है. खास तौर जिले के पूर्वी इलाके में औराई, गायघाट व कटरा प्रखंड बाढ़ से घिर जाते हैं.