मुजफ्फरपुर में 18 दिनों के नाइट ब्लड सर्वे में मिले 14 हजार 744 फाइलेरिया के मरीज, जाने कैसे बचाव
मुजफ्फरपुर में फाइलेरिया बीमारी को लेकर स्थिति धीरे-धीरे गंभीर होने लगी है. इससे पिछले दो वर्षों से जिले में चल रहे राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम को झटका लग रहा है. इस बार 18 दिनों में जिले में फाइलेरिया के 14 हजार 744 नये रोगी पाये गये हैं.
मुजफ्फरपुर में फाइलेरिया बीमारी को लेकर स्थिति धीरे-धीरे गंभीर होने लगी है. इससे पिछले दो वर्षों से जिले में चल रहे राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम को झटका लग रहा है. इस बार 18 दिनों में जिले में फाइलेरिया के 14 हजार 744 नये रोगी पाये गये हैं. ये मरीज अगस्त माह में जीविका दीदी द्वारा जिले के 16 प्रखंडों में किये गये नाइट ब्लड सर्वे में मिले है़ं स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार सबसे अधिक केस कुढ़नी प्रखंड में मिले हैं. यहां 2215 मरीज मिले हैं, जबकि दूसरे नंबर पर सकरा प्रखंड है, जहां 1875 मरीज मिले हैं. तीसरे स्थान पर पारू है, जहां 1670 मरीज मिले हैं. मुशहरी में 1106 मरीज मिले हैं. विभाग की रिपोर्ट के अनुसार सबसे कम 90 मरीज कांटी प्रखंड में मिले है.
कुल 20 हजार 91 के लिए ब्लड सैंपल
फाइलेरिया उन्मूलन के लिए चलाये जा रहे कार्यक्रमों में फाइलेरिया के मरीज को लेकर जिले के 16 प्रखंडों में नाइट ब्लड सर्वे कराया गया. इस दौरान चार सेंटिनल, चार रेंडम साइट सहित सभी प्रखंडों में कुल आठ साइट्स से 20 हजार 91 लोगों के ब्लड सैंपल रात में लिये गये, जिनकी जांच प्रखंडवार करायी गयी. 26 अगस्त को पूरी हुई जांच में सभी आठ साइट्स में कुल 14 हजार लोगों में फाइलेरिया पाया गया. जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया की बीमारी संक्रमित क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है. एक स्वस्थ मनुष्य को जब संक्रमित क्यूलेक्स मच्छर 500 से अधिक बार काटता है, तब व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के विषाणु पनपने लगते है़ं फिर यह धीरे-धीरे बढ़ते हुए मरीज को पूरी तरह फाइलेरिया ग्रसित बना देते हैं. नाइट ब्लड सर्वे में ऐसे ही अविकसित फाइलेरिया विषाणुओं का पता लगा कर मरीजों का उपचार किया जा रहा है.
फाइलेरिया से ऐसे करें बचाव
– फाइलेरिया चूंकि मच्छर के काटने से फैलता है, इसलिए बेहतर है कि मच्छरों से बचाव किया जाए। इसके लिए घर के आस-पास व अंदर साफ-सफाई रखें।
– पानी जमा न होने दें और समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करें। फुल आस्तीन के कपड़े पहनकर रहें।
– सोते वक्त हाथों और पैरों पर व अन्य खुले भागों पर सरसों या नीम का तेल लगाएं।
– हाथ या पैर में कही चोट लगी हो या घाव हो तो उसे साफ रखें। साबुन से धोएं और फिर पानी सुखाकर दवा लगाएं।