मुजफ्फरपुर में दिखी राम नाम की महिमा, पानी में तैरा बड़ा पत्थर, दर्शन के लिए उमड़ा भक्तों का जनसैलाब

मुजफ्फरपुर में पानी में तैरता पत्थर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है. इस पत्थर में श्रीराम भी लिखा हुआ है. यह पानी में तैरता है. आपको बता दें कि यह पत्थर आकर्षण का केंद्र बन गया है. लोग दूर-दूर से इस पत्थर को देखने के लिए आ रहे है. इस पत्थर को जिले के बाबा गरीबनाथ मंदिर में स्थापित किया गया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 19, 2023 8:11 AM

मुजफ्फरपुर में पानी में तैरता पत्थर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है. इस पत्थर में श्रीराम भी लिखा हुआ है. यह पानी में तैरता है. आपको बता दें कि यह पत्थर आकर्षण का केंद्र बन गया है. लोग दूर-दूर से इस पत्थर को देखने के लिए आ रहे है. इस पत्थर को जिले के बाबा गरीबनाथ मंदिर में स्थापित किया गया है. इस पर भगवान राम का नाम लिखा हुआ है, जिस कारण सभी इसकी चर्चा कर रहे है. बताया जा रहा है कि इस पत्थर को रामेश्वरम से लाया गया है. कई लोग इस पत्थर को देखने दूर नहीं जा सकते थे, जिस कारण लोगों के लिए इसे रामेश्वरम से लाया गया है. दरअसल, रामेश्वरम के पंचमुखी हनुमान मंदिर से इस पत्थर को लाया गया है.

पत्थर की हो रही पूजा

जानकारी के अनुसार पत्थर को तिरुपति बालाजी, केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंग्योत्री , यमुनोत्री की यात्रा के बाद जिले में स्थापित किया गया है. यहां के लोगों के पत्थर के दर्शन के मकसद को लेकर इसे यहां लाया गया है. वहीं इस पत्थर के दर्शन के लिए भक्तों का जनसैलाब मंदिर में उमड़ पड़ा है. इस चमत्कारी पत्थर के दर्शन के लिए भक्त लगातार मंदिर आ रहे है. आपको बता दें कि भक्त इस पत्थर को भगवान राम का चमत्कार मान रहे है. लोग इस पत्थर को प्रणाम कर रहे है. पत्थर की लोग लगातार पूजा अर्चना भी कर रहे है. कई भक्त इस पत्थर को हैरत भरी निगाहों से भी देख रहे है, तो कुछ भक्त भगवान राम का आशिर्वाद समझ रहें है.

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विशाल समुद्र बड़ी चुनौती

गौरतलब है कि पत्थर को देखने के लिए भक्तों का जमावड़ा लगा है. रामायण में उल्लेख है कि भगवान राम जब लंका की चढ़ाई करने पहुंचे थे, तो विशाल समुद्र बड़ी चुनौती थी. इसके बाद राम की सेना ने राम लिखकर पत्थर को समुद्र में डाला था. इसके बाद पत्थर तैरने लगा था. इसे पार करने के बाद भगवान राम की सेना ने लंका में विजय प्राप्त की थी. इस वजह से लोग इस पत्थर को देखने के लिए दूर-दूर से आ रहे है.

Published By: Sakshi Shiva

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