नगर निगम में कंप्यूटर व सॉफ्टवेयर की मरम्मत के लिए 10 लाख का बजट रखा जाता है, ताकि कार्यालय की विभिन्न शाखाओं में लगे इन उपकरणों में किसी प्रकार की खराबी नहीं आये. चौंकाने वाली स्थिति यह है कि शहर में आवारा कुत्तों के हमले से इन दिनों लोगों की जान जा रही है. लेकिन, इन कुत्तों से निबटने के लिए निगम के बजट में 1 लाख रुपये का प्रावधान है. इस एक लाख में चूहा व कुत्ते दोनों पर नियंत्रण का मद है. जानकारी के अनुसार, इस मद में कभी पैसा खर्च नहीं किया जाता. कुत्तों की धड़-पकड़ और नियंत्रण के लिए नगर निगम प्रशासन ने पिछले 15 वर्षों में एक बार भी अभियान नहीं चलाया है. ऐसे में निगम प्रशासन पर यह सवाल उठने लगा है कि जिन आवारा पशुओं के कारण जान-माल की क्षति हो रही है, उससे बचाव के लिए निगम गंभीर नहीं है.
शहर में दो दिन पहले आवारा कुतों के हमले में एक बच्ची की जान चली गयी. घटना के तीसरे दिन निगम प्रशासन की नींद खुली. नगर आयुक्त के निर्देश पर निगम की टीम शहर में निकली. खानापूर्ति के तहत शहर की सड़कों पर खुले में घूम रहे मवेशियों को पकड़ा गया. यह अभियान भी घटना के बाद एक-दो दिन चलने के बाद बंद हो जाता है.
जिले में आवारा कुत्ते हर रोज 10 लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं. इस अनुपात में हर महीने लगभग तीन सौ लोगों को कुत्ते अपना शिकार बना रहे है. यह खुलासा स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में हुआ है. वर्ष 2022 के एक जनवरी से 27 अगस्त तक 25 सौ 30 लोगों को कुत्तों ने काटा है. यह तो वह आंकड़े हैं जो सदर अस्पताल या स्वास्थ्य विभाग की सीएचसी-पीएचसी और अर्बन हेल्थ सेंटर पर इलाज कराने के लिए आए. ऐसे लोग भी काफी संख्या संख्या में हैं जो कुत्ते काटे जाने के बावजूद एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने के लिए नहीं आते हैं.