ठंड का कहर! अस्पतालों में 40 प्रतिशत तक बढ़े मरीज, 45 वर्ष तक के लोगों को बीमार कर रही सर्दी

मुजफ्फरपुर में ठंड का कहर जारी है. तापमान में गिरावट होने से सरकारी अस्पताल के ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ गयी है. सदर अस्पताल व एसकेएमसीएच में 40 प्रतिशत मरीज ठंड जनित बीमारी से आ रहे हैं. इसमें ब्रेन स्ट्रोक व हार्ट अटैक के भी मरीज इलाज कराने पहुंच रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 16, 2023 12:32 AM

मुजफ्फरपुर में ठंड का कहर जारी है. तापमान में गिरावट होने से सरकारी अस्पताल के ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ गयी है. सदर अस्पताल व एसकेएमसीएच में 40 प्रतिशत मरीज ठंड जनित बीमारी से आ रहे हैं. इसमें ब्रेन स्ट्रोक व हार्ट अटैक के भी मरीज इलाज कराने पहुंच रहे हैं. विशेषज्ञ डॉ सीके दास का कहना है कि ठंड के मौसम में दिमाग तक ब्लड नहीं पहुंचे की वजह से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बना रहता है. जरूरी है कि ठंड के मौसम में सोते वक्त एकाएक उठकर चलने से बचें. बिस्तर पर बैठे और उसके बाद ही आगे बढ़े.

बिस्तर से तुरंत न निकलें बाहर: चिकित्सक

डॉ सीके दास ने बताया कि भीषण ठंड के मौसम में ऐसे लोगों को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है कि जिनकी उम्र 45 वर्ष से अधिक है. वे सुबह में बिस्तर से एकदम से नहीं उठे. क्योंकि ठंड के कारण शरीर का ब्लड गाढ़ा हो जाता है. तो वह धीरे-धीरे कार्य करने के कारण पूरी तरह से हार्ट में नहीं पहुंच पाता है. इसी कारण से सर्दियों के दिनों में 45 वर्ष से ऊपर के लोगों के हार्ट अटैक के अधिक केस मिल रहे हैं. इधर, मौसम में आये बदलाव से बच्चों पर भी असर पड़ रहा है. सदर अस्पताल में सोमवार को सबसे अधिक बच्चे बीमार होकर पहुंचे. मेडिसिन विभाग व शिशु विभाग के ओपीडी में 166 मरीज ऐसे आये हैं, जिन्हें वायरल फीवर और बच्चों में निमोनिया पाया गया.

डायरिया और वायरल फीवर के 25 से 30 फीसदी बढ़े मरीज

सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ एनके चौधरी की मानें तो पिछले एक सप्ताह में डायरिया और वायरल फीवर के मरीजों की संख्या 25 से 30 फीसदी तक बढ़ गयी है. इनमें सबसे ज्यादा संख्या बच्चों की है. इसके अलावा शहर के सरकारी व निजी अस्पतालों में भी इन बीमारियों से पीड़ित ज्यादा बच्चे भर्ती हैं. डॉ एनके चौधरी के अनुसार इनमें से ज्यादातर बच्चे उल्टी-दस्त और वायरल फीवर से पीड़ित हैं. उन्होंने कहा कि बदलते मौसम में खान-पान का ध्यान नहीं रहने के कारण बच्चे व बुजुर्ग इन बीमारियों के शिकार बन रहे हैं.

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