मुजफ्फरपुर. पुलिस मुख्यालय थाने पर अपनी शिकायत लेकर आने वाले फरियादियों को कोई परेशानी न हो इसके लिए सभी थानों में दो साल पहले मैनेजर पोस्टिंग की थी. लेकिन, जिले के 28 थानों व 10 ओपी में तैनात मैनेजर अपना मूल काम भूलकर थाने का सिरिस्ता का काम कर रहे हैं. थाने पर आने वाले फरियादियों को न तो कोई मुफ्त में कानूनी सलाह दे रहा है. और न ही कोई उसको आवेदन लिखने में कोई मदद कर रहा है. गरीब व कम पढ़े लिखे लोगों को बाहर से आवेदन लिखवा कर लाने में 500 से दो हजार रुपये तक की कीमत चुकानी पर रही है.
शहर में नगर थाने में तैनात मैनेजर कुसुम कुमारी कुछ हद तक अपना काम सही से कर रही है. लेकिन, अन्य शहरी व ग्रामीण थानों में हाल बेहाल है. ब्रह्मपुरा, अहियापुर, मिठनपुरा समेत अधिकांश थाने के बाहर आवेदन लिखने के नाम पर सिपाही उनसे पैसे की डिमांड भी करते हैं. केस की अद्यतन जानकारी पूछने पर उनको डांट फटकार कर भगा दिया जाता है. पुलिस मुख्यालय के आदेश के आलोक में एसएसपी जयंतकांत ने जिन 28 थाने व 10 ओपी में सिपाही की तैनाती थाना मैनेजर के रूप में की थी. इनमें से अधिकांश की पोस्टिंग दूसरे जिले में हो गयी है. उनकी जगह पर जो दूसरे सिपाही आये हैं, उनको थाना मैनेजर को क्या काम करना है यह भी नहीं पता है. उनसे थानेदार सिरिस्ता का काम ले रहे हैं.
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फरियादियों को मुफ्त में कानूनी सलाह व सुझाव देना
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कम पढ़े लिखे लोगों को आवेदन लिखवाने में मदद करना
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हाजत की साफ- सफाई कराने व हाइजीन का ख्याल रखना
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आवेदन लिखने के समय हर प्रकार का स्टेशनरी सामान उपलब्ध करवाना
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फरियादियों को थाने पर बैठने व पीने का पानी उपलब्ध करवाना
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आगंतुक कक्ष के निर्माण में हो रही देरी
फरियादियों को थाने पर बैठने के लिए जिले के 15 से अधिक थानों में बन रहे आगंतुक कक्ष के निर्माण भी देरी हो रही है. नगर थाने पर भवन का निर्माण हुए एक साल से अधिक हो गये. लेकिन, अब तक न तो उसमें फर्नीचर लगाया गया. और ना ही भवन का रंग रोहन किया गया. सदर, काजीमोहम्मदपुर समेत अन्य थानों में ठेकेदार अपनी मनमर्जी से निर्माण कार्य करा रहे हैं