Bihar news: सिर्फ नौकरी ही अच्छे रोजगार का स्तोत्र नहीं है. बल्कि खेती-बड़ी, मछली पालन, बकरी पालन आदि भी रोजगार का एक अच्छा स्तोत्र है. इसको चरितार्थ कर दिखाया है. मुजफ्फरपुर के बंदरा प्रखंड के सफल मछली उत्पादक शिवराज ने. वैज्ञानिक तरीके से मछली का पालन कर शिवराज सालाना तीन करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार कर रहे हैं.
प्रोफेसर की नौकरी छोड़कर बिजनेस का रिस्क लेने वाले शिवराज की मानें तो वे अभी मुजफ्फरपुर में लगभग 87 एकड़ जमीन पर जयंती रोहू और अमोरकात जैसी मछली का उत्पादन कर सालना तीन करोड़ रुपये का कारोबार कर रहे हैं. शिवराज बताते हैं कि नौकरी छोड़ने में रिस्क तो था. लेकिन उन्होंने स्वयं का व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया. नौकरी छोड़ने के फैसले को लेकर इलाके में तरह-तरह की चर्चाएं हुई. लेकिन आज न केवल लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं. बल्कि दजर्नों लोगों को रोजगार और प्रशिक्षण भी दे रहे हैं.
सफल मछली उत्पादक शिवराज के मुताबिक उनकी नौकरी पं. बंगाल के फिशरी कॉलेज में लेक्चरर की तौर पर लगी थी. लेकिन वे हमेश कुछ अलग और बड़ा करना चाहते थे. इसी चाहत के चलते उन्होंने नौकरी लगने के तीन माह बाद नौकरी छोड़ दी. बता दें कि शिवराज ने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन दोनों हो फिशरी साइंस से ही किया है. शिवराज मछली उत्पादन के साथ-साथ कृषि अध्ययन के छात्रों को मछली उत्पादन का गुर भी सिखाते है. मछली उत्पादन के क्षेत्र में शिवराज को कई राष्ट्रीय स्तर पर भी पुरस्कार मिल चुका है. आज शिवराज बिहार के चर्चित मछली कारोबारी हैं.
शिवराज बताते हैं कि उन्होंने पहले ही तय कर लिया था कि उनको मछली की दुनिया में ही कारोबार करने की ठानी थी. इसी ललक ने उनको वापस बिहार खींच लाया था. मुजफ्फरपुर के बंदरा प्रखंड के मूतलुपुर में शिवराज का अपना मत्सय फॉर्म है. शिवराज 87 एकड़ में कुल 27 बड़े-बड़े तलाब में मछली का उत्पादन करते हैं. इन तलाब में वे हर प्रकार की मछलियों को पालते हैं.
बता दें कि मछली उत्पादन के दिशा में शिवराज को कई राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार मिल चुके हैं. शिवराज मछली उत्पादन के साथ- साथ युवाओं को मछली उत्पादन का गुर भी सिखाते हैं. शिवराज बताते हैं कि मछली उत्पादन बिहार में सबसे बेहतरीन कारोबार में से एक है. बिहार के युवा इस कारोबार से एक एकड़ जमीन से तकरीबन 2 लाख रुपये सालाना की कमाई कर सकते हैं. मछली का डिमांड कभी कम नहीं होने वाला है.