मुजफ्फपुर बालिका गृह यौन शोषण मामला : ब्रजेश ठाकुर की अपील पर हाइकोर्ट ने भेजा सीबीआई को नोटिस, 25 अगस्त को सुनवाई
बिहार के मुजफ्फपुर बालिका गृह यौन शोषण मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी किया है. जस्टिस विपिन संघी और जस्टिस रजनीश भटनागर की बेंच ने मामले में सुनवाई के बाद सीबीआई को नोटिस दिया है. अब मामले में अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी.
बिहार के मुजफ्फपुर बालिका गृह यौन शोषण मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी किया है. जस्टिस विपिन संघी और जस्टिस रजनीश भटनागर की बेंच ने मामले में सुनवाई के बाद सीबीआई को नोटिस दिया है. अब मामले में अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी. मालूम हो कि इस मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे ब्रजेश ठाकुर ने साकेत कोर्ट के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है. बुधवार को सुनवाई के दौरान ब्रजेश ठाकुर की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किया है. अदालत ने कहा कि सीबीआई अगली तारीख से पहले स्थिति रिपोर्ट या जवाब दायर करे। उच्च न्यायालय ने सीबीआई से ठाकुर की उस याचिका पर भी जवाब मांगा है जिसमें उसने निचली अदालत द्वारा उसपर लगाये गये 32.20 लाख रुपये के जुर्माने पर रोक लगाने का अनुरोध किया है.
19 को मिली थी सजा
निचली अदालत ने ब्रजेश ठाकुर समेत 19 लोग को दोषी करार दिया था. निचली अदालत ने ठाकुर को मृत्यु तक कठोर उम्रकैद की सजा सुनाई थी और उसपर 32.20 लाख रुपये का जुर्माना यह कहते हुए लगाया था कि वह सावधानीपूर्व रची गई साजिश का मास्टरमाइंड था और उसने अत्यधिक विकृति दिखाई. ठाकुर को आश्रय गृह में कई लड़कियों के यौन उत्पीड़न के जुर्म में सजा सुनाई गई. बिहार पीपुल्स पार्टी (बीपीपी) के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके ठाकुर के अलावा, निचली अदालत ने मामले में कई अन्य लोगों को भी उम्रकैद की सजा सुनाई थी. हाई कोर्ट में दायर याचिका में ब्रजेश ठाकुर ने उसे दोषी ठहराने एवं उम्रकैद की सजा सुनाने के 20 जनवरी, 2020 के साकेत कोर्ट के फैसले रद्द करने की मांग की है.
निष्पक्ष सुनवाई की मांग
अधिवक्ता निशांक मत्तो के माध्यम से दायर चुनौती याचिका में ब्रजेश ठाकुर ने कहा कि साकेत कोर्ट ने जल्दबाजी में सुनवाई की और यह उनके निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन है. उसने यह भी दावा किया कि उसके खिलाफ निचली अदालत ने पक्षपातपूर्ण तरीके से सजा का फैसला सुनाया. अपील याचिका में कहा गया कि निचली अदालत का फैसला गलत, दोषपूर्ण है और इसे रद किया जाना चाहिए.
20 जनवरी कोआया था फैसला
उल्लेखनीय है कि देश के इस चर्चित मामले की सात माह तक सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुई नियमित सुनवाई के बाद दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 20 जनवरी 2020 को ब्रजेश ठाकुर को पॉक्सो की धारा-6, दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म की धारा में दोषी करार दिया था.
सुप्रीम कोर्ट कर रही थी निगरानी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह मामला बिहार के मुजफ्फरपुर की जिला अदालत से साकेत कोर्ट में स्थानांतरित किया गया था. पूरा मामला तब सामने आया था जब टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने बिहार सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि बालिका गृह में लड़कियों का यौन उत्पीड़न किया जा रहा है.
posted by ashish jha