मन में हौसला हो और सही मार्गदर्शन मिले, तो जीवन की मुश्किल बाधाएं भी आसान हो जाती हैं. जरूरत संकल्प और जुनून के साथ जुटने की होती है. शहर में कई बच्चे हैं जो अपने हौसले की वजह से दूसरे के लिए नजीर पेश कर रहे हैं. ऐसे ही बच्चों में नंदिनी और साहिल का नाम आता है. जन्म से दोनों मूक-बधिर होने के बाद भी सफलता की नयी कहानी लिख रहे हैं. पढ़ाई के साथ दोनों ने खेल में भी अपना परचम लहराया है. सीतामढ़ी की नंदिनी द्वितीय वर्ग की छात्रा है और मोतीपुर का साहिल छठी कक्षा में पढ़ता है. दोनों चर्च रोड के बागेश्वरी मूक बधिर विद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं. पढ़ाई के अलावा दोनों ने पिछले वर्ष पैरा बिहार ताइक्वांडों चैंपियनशिप में अपने समूह में प्रथम स्थान प्राप्त किया था. स्कूल में पढ़ाई के साथ ही दोनों ने ट्रेनर हैदर से प्रशिक्षण लिया था. अब दोनों नेशनल ताइक्वांडों चैंपियनशिप की तैयारी कर रहे हैं.
दोनों बच्चों की रुचि खेल में अधिक है. अभ्यास के लिए वे हर समय तैयार रहते हैं. उनकी खुशी उनके चेहरे से झलकती है. दोनों बच्चे शहर में पिछले तीन-चार वर्षों से पढ़ाई कर रहे हैं. मूक-बधिर होने के कारण दोनों बच्चों की पढ़ाई में काफी परेशानी हुई, लेकिन विद्यालय में उन्हें साइन लैंग्वेज सिखा कर पढ़ाई शुरू करायी गयी. इशारों में नंदिनी बताती है कि उसे पढ़ना है, लेकिन साथ में ताइक्वांडो भी खेलना है. साहिल खेल को लेकर काफी उत्साहित है. वह एक दिन देश स्तर पर अपना नाम रोशन करना चाहता है. दोनों को शिक्षक संजय कुमार बताते हैं कि जब दोनों बच्चों का स्कूल में नामांकन हुआ था, तो उन्हें पढ़ाना आसान नहीं था. शिक्षकों की मेहनत से बच्चे की रुचि जगी और खेल के प्रति भी आकर्षित हुए. विद्यालय में कई तरह के खेल बच्चों को सिखाए जाते हैं, लेकिन दोनों की रुचि ताइक्वांडों में अधिक थी. अब दोनों बच्चे दूसरे बच्चों के लिए भी प्रेरणा बन रहे हैं.