मुजफ्फरपुर सहित पूरे उत्तर बिहार में तीन दिनों तक रहेगा कोल्ड डे, बिजली खपत 30 प्रतिशत तक बढ़ी

मुजफ्फरपुर सहित पूरे उत्तर बिहार में तीन दिनों तक रहेगा कोल्ड डे की स्थिति बनी रहेगी. इस बीच 72 घंटे में रात का पारा 5 डिग्री नीचे जा सकता है. हालांकि, दिन के तापमान में उतार चढ़ाव जारी रहेगा. ठंड बढ़ने के साथ ही बिजली खपत भी सामान्य ठंड की तुलना में 30 प्रतिशत से अधिक बढ़ी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 8, 2023 11:06 PM

मुजफ्फरपुर सहित पूरे उत्तर बिहार में तीन दिनों तक रहेगा कोल्ड डे की स्थिति बनी रहेगी. इस बीच 72 घंटे में रात का पारा 5 डिग्री नीचे जा सकता है. हालांकि, दिन के तापमान में उतार चढ़ाव जारी रहेगा. ठंड बढ़ने के साथ ही बिजली खपत भी सामान्य ठंड की तुलना में 30 प्रतिशत से अधिक बढ़ी है. गर्मी के बाद ठंड शुरू होते ही जिले में बिजली की खपत 300 मेगावाट से घटकर 120 से 130 मेगावाट के आसपास चल रही थी. जो अचानक से ठंड बढ़ने के साथ 200 मेगावाट के पास पहुंच गयी. शहर से रामदयालु ग्रिड का सामान्य ठंड में लोड 50 से 60 मेगावाट के बीच रहता था जो ठंड बढ़ने के साथ अधिकतम 85 मेगावाट तक पहुंच गया. वहीं मेडिकल ग्रिड का लोड 40 से 50 रहता था जो अभी 70 मेगावाट को पार चुका है. यह स्थिति बीते करीब 10 – 12 दिनों से बनी हुई है. ठंड बढ़ने के साथ ही लोग खुद गर्म रखने के लिए हीटर, ब्लोअर और पानी गर्म करने के लिए जमकर गिजर व वाटर मग का यूज कर रहे है. यही कारण है कि ठंड बढ़ने के साथ ही बिजली का लोड इतना अधिक बढ़ गया है.

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मजदूर को नहीं मिल रहा काम

ठंड बढ़ने के साथ ही मजदूरों की संख्या में कमी आयी है. वहीं जो थोड़े बहुत मजदूर मिल भी रहे है उन्हें पूरी तरह काम नहीं मिल पा रहा है. सड़क व नाला निर्माण को छोड़ दे तो सामान्य तौर पर मकान का निर्माण कार्य थम सा गया है. ब्रजकिशोर चौधरी ने बताया कि उनके मकान छत तक पहुंचने वाला ही था.

आलू-टमाटर के साथ रबी फसलों में तेजी से फैल रहा झुलसा रोग

जिला सहित उत्तर बिहार में शीतलहर का कहर जारी है. पिछले कुछ दिनों में इस वजह से फसलों व उद्यानिक फसलों को नुकसान होने लगा है. आलू में झूलसा रोग के साथ टमाटर और अन्य रबी फसलों में झुलसा रोग तेजी से फैल रहा है. दूसरी ओर सरसों में लाही की समस्या से किसान परेशान है. कृषि विभाग के पास सब्जियों का फसल बर्बाद होने के बारे में शिकायतें पहुंचने लगी है. ऐसे में कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की ओर से शीतलहर से फसलों को बचाने के लिये सुझाव दिया गया है.

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