मुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण के तहत मुजफ्फरपुर जिले में 1.88 करोड़ पेज जमीन के रिकॉर्ड का कंप्यूटरीकरण पूरा कर लिया गया है. अब म्यूटेशन और परिमार्जन का काम चल रहा है. हालांकि, जमीन के ऑनलाइन रिकॉर्ड में अभी भी काफी त्रुटियां हैं. खाता और खेसरा गलत होने के कारण जमीन मालिकों को मालगुजारी रसीद कटवाने में परेशानी हो रही है. परिमार्जन में भी काफी समय लग रहा है. लोग खाता और खेसरा दुरुस्त कराने के लिए अंचल से जिला मुख्यालय तक दौड़ रहे हैं. जमाबंदी में जिला सूबे में प्रथम जमाबंदी के मामले में मुजफ्फरपुर जिला बिहार में पहले स्थान पर है. जिला प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार, कुल 21 लाख जमाबंदी में से 90% ऑनलाइन जमाबंदी है.लगभग एक लाख से अधिक जमाबंदी को रोक सूची में रखा गया है़ मुजफ्फरपुर में 48 लाख जमाबंदी में अंतिम भू-लगान का कोई विवरण नहीं है. भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण क्या है भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण, जिसे पहले राष्ट्रीय भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम और अब डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के रूप में जाना जाता है, भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है. इसका उद्देश्य भूमि अभिलेखों को आधुनिक बनाना और स्वामित्व की गारंटी के साथ निर्णायक भूमि-स्वामित्व प्रणाली को लागू करना है. मुख्य उद्देश्य: भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण: भूमि अभिलेखों को कंप्यूटरीकृत करना और भू-माप मानचित्रों का डिजिटलीकरण करना भूमि अभिलेखों को अधिक पारदर्शी और नागरिकों के लिए सुलभ बनाना भूमि विवादों का समाधान: भूमि/संपत्ति विवादों की गुंजाइश को कम करना और भूमि प्रशासन को सुव्यवस्थित करना भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण से लोगों को जमीन से संबंधित जानकारी ऑनलाइन प्राप्त करने में आसानी होगी इससे भूमि विवादों को कम करने में भी मदद मिलेगी बिहार सरकार भूमि अभिलेखों को और भी ज्यादा त्रुटि हीन बनाने के लिए कार्यरत है
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