पुनर्वास के लिए 61 नक्सली व 13 डकैतों के बीच बंटे 1.51 करोड़ रुपये के चेक

मुजफ्फरपुर: वर्ष 2012 व 2013 में हथियार छोड़ कर समाज की मुख्यधारा में लौटे 61 नक्सलियों व 13 डकैतों के बीच गुरुवार को एक करोड़ 51 लाख 84 हजार 441 रुपये का चेक बांटा गया. इसमें पूर्व नक्सलियों को जहां एक करोड़ 24 लाख 15 हजार 441 रुपये मिले, वहीं पूर्व डकैतों के बीच 27 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 30, 2017 11:06 AM
मुजफ्फरपुर: वर्ष 2012 व 2013 में हथियार छोड़ कर समाज की मुख्यधारा में लौटे 61 नक्सलियों व 13 डकैतों के बीच गुरुवार को एक करोड़ 51 लाख 84 हजार 441 रुपये का चेक बांटा गया. इसमें पूर्व नक्सलियों को जहां एक करोड़ 24 लाख 15 हजार 441 रुपये मिले, वहीं पूर्व डकैतों के बीच 27 लाख 69 हजार रुपये का चेक वितरित किया गया. सरकारी योजना के तहत यह राशि उनकी सहायता व पुनर्वास के लिए दिया गया है. उन्हें यह चेक डीएम धर्मेंद्र सिंह व एसएसपी विवेक कुमार ने दिया. मौके पर डीएम धर्मेंद्र सिंह ने उन्हें सलाह दी वे सरकार की ओर से मिली राशि का सदुपयोग करें. अपने बच्चों को पढ़ाये, ताकि वे भविष्य में उनका नाम रोशन कर सके.

भरोसा दिया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली या डकैत कोई स्वरोजगार करने की इच्छा रखते हैं, तो उन्हें बैंक से लोन दिलवाने में प्रशासन मदद करेगा. आत्मसमर्पण करने वाले जिन 13 डकैतों को सहायता व पुनर्वास राशि दी गयी है, वे सभी सिवाईपट्टी थाना क्षेत्र के निवासी हैं. उन्होंने डीएम से शिकायत की कि आत्मसमर्पण करने से पूर्व उन पर जो मामले दर्ज थे, उन्हें अभी तक खत्म नहीं किया गया है. इस कारण पुलिस बार-बार उनके घर तक पहुंच जाती है. इससे उनके परिजनों में हमेशा भय व्याप्त रहता है. मांग की कि आत्मसमर्पण से पूर्व उन पर जो भी मामले दर्ज थे, उसे खत्म कर दिया जायेगा. एसएसपी ने इस पर विचार-विमर्श के बाद फैसला लेने की बात कही.

आत्मसमर्पण करनेवाला नक्सली अब शराब कारोबारी!
आत्मसमर्पण करने वाले जिन 61 नक्सलियों के बीच सरकारी चेक का वितरण किया गया, उसमें से एक हैं औराई के धसना निवासी रंजीत महतो. समाहरणालय सभागार में जब उन्हें चेक दिया जा रहा था तो मौके पर मौजूद विशेष शाखा के इंस्पेक्टर दिलीप कुमार ने उस पर सवाल उठाये. बताया कि रंजीत कुमार इन दिनों शराब का कारोबार करता है. पुलिस को उसकी तलाश भी है. पूछने पर रंजीत ने बताया कि राजनीतिक साजिश के तहत उन्हें फंसाया गया है. वे कोई शराब कारोबार नहीं करते हैं. पिछले पंचायत चुनाव में उन्होंने मुखिया का चुनाव लड़ा था. इसी का बदला लिया जा रहा है. पहले भी उन पर हत्या का झूठा मुकदमा दर्ज कर दिया गया था. डीएम ने उन्हें चेक देने से पूर्व चेतावनी दी कि यदि उनके शराब कारोबार में शामिल होने के बात पुष्ट होती है, तो उन पर मद्य निषेध कानून के तहत कार्रवाई तो होगी है, दी गयी सहायता व पुनर्वास राशि भी वसूली जायेगी.

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