तब एसपी कोठी के पास टूटा था बांध

शैलेंद्र मुजफ्फरपुर : स्लुइस गेट व दो अन्य स्थानों पर बूढ़ी गंडक के बांध पर पानी के दबाव की खबर आयी, तो शहर के लोगों में बेचैनी बढ़ गयी. इसके बाद शनिवार को िदन में जब अखाड़ाघाट पुल से बड़े वाहनों का परिचालन रोका गया, तो आशंका ने और तेजी पकड़ ली, लेिकन रात होते-होते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 21, 2017 10:57 AM
शैलेंद्र
मुजफ्फरपुर : स्लुइस गेट व दो अन्य स्थानों पर बूढ़ी गंडक के बांध पर पानी के दबाव की खबर आयी, तो शहर के लोगों में बेचैनी बढ़ गयी. इसके बाद शनिवार को िदन में जब अखाड़ाघाट पुल से बड़े वाहनों का परिचालन रोका गया, तो आशंका ने और तेजी पकड़ ली, लेिकन रात होते-होते वाहनों का परिचालन शुरू हुआ, तो लोगों को कुछ राहत िमली.
इस बीच शहर के लोगों को 51 साल पहले की िवभीिषका भी याद आ गयी, तब िसकंदरपुर में अब की एसएसपी कोठी (तब एसपी कोठी) के पास बांध टूटा था. सरैयागंज में शर्मा मेिडसिन के मािलक अिनल शर्मा के पास उस समय का अखबार अब भी सुरक्षित है. उन्होंने बताया िक तब बांध टूटा था, तो हमारा पैतृक घर पानी में बह गया था. िसकंदरपुर मोहल्ले में बड़ी कोठी थी, िजसे हमारे बाबा डॉ लोकनाथ शर्मा ने बनाया था.
28 अगस्त 1966 के साप्तािहक प्रदीप में बांध टूटने की खबर आयी थी. हेडलाइन बनी थी…
साठ फुट बांध टूट जाने से मुजफ्फरपुर जल प्लावित. बांध टूटने के बाद की िवभीिषका को देखने के िलए तत्कालीन िसंचाई मंत्री महेश प्रसाद िसंह पहुंचे थे. उन्होंने आदपा का जायजा िलया और उसके बाद बयान िदया था िक इस बार की बाढ़ 1954 की बाढ़ से भी भयावह है. आजादी के बाद यह दूसरी मौका था, जब िबहार में भयंकर बाढ़ आयी थी. मंत्री ने इसका हवाई सर्वेक्षण िकया था. उनके साथ ितरहुत के तत्कालीन कमिश्नर नागेश्वर प्रसाद िसंह भी थे.
उस समय सीतामढ़ी भी मुजफ्फरपुर िजले का िहस्सा हुआ करता था. वहां भयंकर बाढ़ आयी थी, बाढ़ का पानी िजला मुख्यालय के चारों ओर था, लेिकन बांध की वजह से मुख्यालय बाढ़ की िवभीिषका से बच गया था. िसंचाई मंत्री ने सीतामढ़ी के इलाके का भी हवाई सर्वेक्षण िकया था, िजसके बाद कहा था िक सीतामढ़ी ऊपर से टापू की तरह नजर आता है. वहां के हालात काफी खराब है. गांव के गांव पानी में डूब गये हैं. बैरगनिया का इलाका ज्यादा प्रभावित है. सीतामढ़ी से रुन्नीसैदपुर के बीच सात जगहों पर सड़क के ऊपर से पानी बह रहा था.
हाल के सालों की बात करें, तो 2004 की बाढ़ की चर्चा होती है, तब तक सीतामढ़ी को बाढ़ से ज्यादा प्रभावित िजलों में माना जाता रहा है. कटौझा में एचएच पर नया पुल और सड़क बनने से पहले हर साल बाढ़ आती थी. इसकी वजह से िजले का देश-दुिनया से संपर्क कट जाता था, लेिकन इस बार अन्य शहरों से सीतामढ़ी का संपर्क कट गया, लेिकन मुजफ्फरपुर रोड व रेल लाइन दोनों चलती रही.
पता नहीं था इतना पानी आयेगा
1966 में जब भयावह बाढ़ आयी थी, िजसकी वजह से बांध टूटा था, तब भी शहर के लोगों को इस बात का अंदाजा नहीं था िक नदी में इतना पानी आयेगा. सब लोग िनश्चिंत थे. रातोंरात पानी इतना बढ़ गया िक संभलने का मौका नहीं िमला. यही हाल इस बार भी हुआ. रुन्नीसैदपुर में बांध पर रहनेवाले लोगों का कहना है िक उन्हें बीते ॅ13 अगस्त की रात तक इस बात का अंजादा नहीं था िक बाढ़ आयेगी. इसी वजह से सब लोग िनश्चिंत थे, लेिकन देर रात घरों में पानी घुस गया, तो उन्हें बाढ़ का पता चला. सुबह होते-होते बागमती की की उपधारा का बांध दो जगहों पर टूट गया.

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