आंखों में सपनों की जगह मचलने लगे हैं आंसू

मुजफ्फरपुर : रजवाड़ा बांध तोड़कर शहरी इलाकों के साथ ही दर्जनों गांवों को आगोश में ले चुकी बूढ़ी गंडक के सैलाब में कइयों के सपने भी बह गये हैं. उनकी आंखों में सपनों की जगह आंसू मचलने लगे हैं. बेटे-बेटियों के हाथ पीले करने का अरमान सजाये बूढ़े मां- बाप के सामने अब पूरी तरह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 29, 2017 11:47 AM
मुजफ्फरपुर : रजवाड़ा बांध तोड़कर शहरी इलाकों के साथ ही दर्जनों गांवों को आगोश में ले चुकी बूढ़ी गंडक के सैलाब में कइयों के सपने भी बह गये हैं. उनकी आंखों में सपनों की जगह आंसू मचलने लगे हैं. बेटे-बेटियों के हाथ पीले करने का अरमान सजाये बूढ़े मां- बाप के सामने अब पूरी तरह बिखर चुकी गृहस्थी को फिर से संवारने की चुनौती है.

बंधी-बंधाई आमदमी से कटौती करके शादी की तैयारी कर चुके थे, जो बाढ़ की भेंट चढ़ गया. नवंबर से फरवरी तक कई घरों में शादी तय है. लोगों को इस बात की फिक्र है कि बाढ़ का पानी उतरने के बाद घर लौटेंगे तो उसे रहने लायक बनाने में भी अब खर्च होगा. काम-धंधा पूरी तरह चौपट हो चुका है. ऐसे में शादी की तिथि आगे बढ़ाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प भी नहीं दिख रहा.

केस 1 : शहर के रामबाग नया मसजिद के पास की रहने वाली नाजनी की आंखों के आंसू थम नहीं रहे हैं. दो बेटों के साथ लहठी का कारोबार करती है. बाढ़ में करीब 10 हजार रुपये का लहठी नष्ट हो गया. नाजनी ने बेटी की शादी दिसंबर में तय की है. घर छोड़कर खादी आश्रम में शरण ले रही नाजनी ने बेटी को देने के लिए जेवर बनवा कर रखा था. आलमारी में सामान छोड़कर पूरा परिवार बाहर निकल गया. बीती रात चोरों ने घर का ताला तोड़कर आलमारी से जेवर व अन्य कीमती सामान गायब कर दिया है. वहीं जो फ्रीज सहित अन्य सामान चौकी पर रखा था, जो पानी में डूब गया है. सुबह ही इसकी जानकारी होने के बाद नाजनी बदहवास है. बोली, चार साल पहले पति की मौत के बाद मुश्किल से घर चला हूं. अब बेटी की शादी कैसे होगी, समझ में नहीं आ रहा.
केस 2 : नरौली गांव के रहने वाले कैलाश ने बेटी की शादी तय की है. दिसंबर में शादी की तारीख तय हो चुकी थी, लेकिन बूढ़ी गंडक की बाढ़ ने अरमानों पर पानी फेर दिया है. कैलाश के परिवार की आंखों में सपनों की जगह आंसू मचलने लगे हैं. एक सप्ताह से वे घर छोड़कर नहर पर शरण लिये हैं. अभी दाने- दाने को तरस रहे हैं. ऐसे में बेटी के हाथ पीले करने का खयाल भी इन दिनों से दिमाग में नहीं आ रहा. रजवाड़ा बांध टूटने के बाद आई आफत के बीच अपना घर-बार छोड़कर रिफ्यूजी का जीवन गुजार रहे परिवार के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती दुबारा गृहस्थी को पटरी पर लाने की है. बड़ी चिंता यह है कि हफ्ते भर बाद भी घर लौटने की उम्मीद नहीं दिख रही है. कहने लगे, बेटी की शादी को लेकर जो अरमान थे, उस पानी फिर गया. खेती भी चौपट हो गई है.

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