‘पैन’ का झंझट खत्म, अब ‘आधार’ ही काफी

मुजफ्फरपुर: सरकारी योजनाआें के लिए जमीन देने वाले किसानों के लिए खुशखबरी है. सरकार ने फैसला लिया है कि जमीन के बदले मिलने वाली मुआवजा राशि से अब टीडीएस की कटौती नहीं होगी. इसके साथ ही मुआवजा भुगतान के लिए पैन कार्ड की अनिवार्यता भी समाप्त कर दी गयी है. अब मुआवजा के लिए किसानों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2017 11:04 AM
मुजफ्फरपुर: सरकारी योजनाआें के लिए जमीन देने वाले किसानों के लिए खुशखबरी है. सरकार ने फैसला लिया है कि जमीन के बदले मिलने वाली मुआवजा राशि से अब टीडीएस की कटौती नहीं होगी. इसके साथ ही मुआवजा भुगतान के लिए पैन कार्ड की अनिवार्यता भी समाप्त कर दी गयी है.
अब मुआवजा के लिए किसानों को एलपीसी, करंट लगान रसीद, बैंक अकाउंट की कॉपी, भू-स्वामित्व से संबंधित दस्तावेज के साथ आधार कार्ड देना अनिवार्य होगा.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के निर्देश पर जिले में इसे लागू भी कर दिया गया है. इस फैसले से उन किसानों को लाभ होगा, जो पैन कार्ड के अभाव में अब तक मुआवजा राशि से वंचित रहे हैं. साथ ही भविष्य में किसानों को टीडीएस रिटर्न भरने के झंझट से भी मुक्ति मिलेगी. पहले किसानों को मिलने वाली मुआवजा राशि का 10.3% टीडीएस के रूप में काटा जाता था. टीडीएस रिटर्न भरने पर उन्हें वह राशि लौटा दी जाती थी.
कैपिटल एसेट्स नहीं है कृषि भूमि : नयी भू-अर्जन नीति-2013 लागू होने के बाद ही यह चर्चा शुरू हो गयी थी कि किसानों को दी जाने वाली मुआवजा राशि से टीडीएस की कटौती की जाये या नहीं! इस मामले में केंद्रीय वित्त मंत्रालय से राय मांगी गयी. मंत्रालय ने 25 अक्तूबर, 2016 को सर्कुलर जारी किया. इसमें इनकम टैक्स एक्ट 1961 का उल्लेख किया गया है. शहरी क्षेत्र के कुछ खास एरिया को छोड़ कर बांकी कृषि योग्य भूमि कैपिटल एसेट्स नहीं होती है. ऐसे में इसके स्थानांतरण या अर्जन पर इनकम टैक्स की कटौती नहीं की जा सकती है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने वित्त मंत्रालय के इसी सर्कुलर का हवाला देते हुए जिला भू-अर्जन पदाधिकारी को अर्जित जमीन के मुआवजा राशि से इनकम टैक्स कटौती नहीं करने का आदेश दिया है.
पैन नंबर को लेकर किसानों के फंसे हैं 4.68 करोड़ रुपये
अब तक मुआवजा भुगतान के लिए किसानों से भूमि संबंधित दस्तावेजों, बैंक अकाउंट नंबर के साथ पैन कार्ड की फोटो कॉपी लेने का भी प्रावधान था. लेकिन, जिले में कई बार बार इसकी अनदेखी गयी. इनकम टैक्स विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2007-08 से 2015-16 के बीच जिले में बिना पैन नंबर के ही करीब 45.46 करोड़ रुपये मुआवजा का भुगतान कर दिया गया. इसके कारण किसानों के 4.68 करोड़ रुपये इनकम टैक्स विभाग में फंसे हैं, जो टीडीएस के रूप में काटी गयी थी. विभाग के रिकॉर्ड में इसे ‘अनक्लेम्ड’ बताया जा रहा है. इनकम टैक्स ने जब इसको लेकर जिला भू-अर्जन पदाधिकारी पर दबाव बनाया तो किसानों के पैन कार्ड की खोजबीन शुरू हुई है.

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