मुजफ्फरपुर: बदलते परिवेश में बच्चे पारंपरिक खेलों से दूर होते जा रहे हैं. गरमी की छुट्टी होते ही ननिहाल जाने की जिद करने वाले बच्चों को अब इससे कोई सरोकार नहीं रहा. इसकी जगह अब कंप्यूटर, वीडियो गेम, नेटवर्क कार्टन व मोबाइल ने ले ली है. यह आज बच्चों के टाइम पास करने का सबसे उपयुक्त साधन बन गये हैं. गेम खेलने व चैटिंग करने में ही उनकी गरमी की छुट्टियां बीतती नजर आ रही हैं.
एक जमाना था जब बच्चों को गरमी छुट्टी का बेसब्री से इंतजार रहता था. इसमें मामा घर जाकर खूब धमा-चौकड़ी करना उनकी पहली पसंद हुआ करती थी. अब पिछले कुछ सालों से देखा जा रहा है कि उन्हें अब इसमें खास रुचि नहीं रह गयी है. बच्चे इंटरनेट व नेटवर्क कार्टून में व्यस्त हो रहे हैं. इस वजह से कहीं घूमने जाने की कोई इच्छा नहीं है.
पारंपरिक खेल भूल चुके हैं बच्चे
बीते सालों में बच्चे छुट्टियों के दौरान तपती दोपहरी में गिल्ली-डंडा, लुकाछिपी, डंडा पचरंगा जैसे खेल खेला करते थे. आज के बच्चे इन पारंपरिक खेलों को भूल चुके हैं. उन्हें इनके बारे में जानकारी तक नहीं है. वह अब आधुनिक तकनीक से बनी चीजों का इस्तेमाल करने में लगे हैं. बदलते दौर में बच्चे भी जीवन शैली बदल रहे हैं. देखा जाय तो उन पर मानसिक बोझ बढ़ गया है. वे हर वक्त तनाव में रहते हैं. कम उम्र में ही बीमारियों का शिकार भी हो रहे हैं.
भविष्य की चिंता
युवा छुट्टियों को उपयोगी बनाने में जुटे हैं. उनके इस नब्ज को टटोलते हुए कंप्यूटर व अन्य संस्थान छोटी अवधि के कोर्स संचालित कर रहे हैं. छात्र मौजमस्ती नहीं बल्कि अपने भविष्य को लेकर सजग हैं. छुट्टी में कुछ सीख लें, इसके लिये बच्चे ऐसे संस्थानों में पहुंच रहे हैं. छात्र जहां कंप्यूटर का ज्ञान ले रहे हैं, वहीं छात्राओं का रु झान ब्यूटी पार्लर, फैशन आदि कोर्सो में दिख रहा है. कंप्यूटर संस्थान भी टेली, ग्राफिक्स, हार्डवेयर, एनीमेशन, बेव डिजायनिंग आदि कोर्स कर रहे हैं. यह कोर्स युवाओं की पसंद बन रहे हैं. छात्राएं मेहंदी. नेल आर्ट, हेयर स्टाइल, साड़ी स्टाइल, डांस आदि का कोर्स कर रही हैं. यह कोर्स 15 से 30 दिन के लिये हैं.