अंतिम दिन दोपहर में ही खोल दिया दवा खरीद का टेंडर
टेंडर डालने से वंचित रह गयीं कई कंपनियां दवा कंपनी ने लगाया अनियमितता का आरोप सिविल सर्जन से टेंडर रद्द कर फिर से निकालने की मांग मुजफ्फरपुर : सरकारी अस्पतालों की दवा की खरीद के लिए स्वास्थ्य विभाग से निकाले गये टेंडर प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी व विभागीय अधिकारियों की मनमानी का मामला सामने […]
टेंडर डालने से वंचित रह गयीं
कई कंपनियां
दवा कंपनी ने लगाया अनियमितता का आरोप
सिविल सर्जन से टेंडर रद्द कर
फिर से निकालने की मांग
मुजफ्फरपुर : सरकारी अस्पतालों की दवा की खरीद के लिए स्वास्थ्य विभाग से निकाले गये टेंडर प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी व विभागीय अधिकारियों की मनमानी का मामला सामने आया है. वेबसाइट पर टेंडर की सूचना अपलोड करने के बाद निर्धारित 21 दिन का समय देने के बजाय विभाग ने टेंडर डालने के लिए तीन दिन पहले से समय की गिनती की, जब सूचना पर सीएस का हस्ताक्षर हुआ. यही नहीं, अंतिम दिन टेंडर दोपहर दो बजे ही खोल दिये जाने का आरोप है, जबकि कार्यालय अवधि तक इच्छुक कंपनियां टेंडर डाल सकती थीं.
सिविल सर्जन ने टेंडर निकालने की स्वीकृति 10 अगस्त को ही दे दी थी, लेकिन उसे 22 अगस्त की तिथि में प्रकाशित किया गया. टेंडर नोटिस को विभाग की वेबसाइट पर 25 अगस्त को अपलोड किया गया है. बिहार वित्त (संशोधन) नियमावली 2005 के आधार पर बोली समर्पित करने की न्यूनतम अवधि सामान्यत: टेंडर प्रकाशन की तिथि से (जो बाद में हो) तीन सप्ताह होनी चाहिए. ऐसे में 25 अगस्त को वेबसाइट पर नोटिस अपलोड कराने के आधार पर 14 सितंबर तक अंतिम तिथि होनी चाहिए. नोटिस पर टेंडर लेने का समय नहीं दिया गया था. इससे अंतिम दिन कार्यालय अवधि तक टेंडर डाला जा सकता था. लेकिन आरोप है कि दोपहर दो बजे ही विभाग ने टेंडर खोल दिया.
सरकारी अस्पताल में दवा सप्लाइ के लिए 16 कंपनियों ने 11 सितंबर तक टेंडर डाला था. इसके चयन के दौरान दो कंपनियों का टेंडर निरस्त कर दिया गया.
जेनिथ बॉयोसाइंसेज एंड रिसर्च सेंटर प्राइवेट लिमिटेड के डाइरेक्टर ने सीएस को पत्र लिख कर टेंडर में प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए रद्द करने की मांग की है.