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खेतीबाड़ी : किसानों को बिचड़ा के लिए मिलने थे 100 रुपये प्रतिकिलो अनुदान, फसल तैयार, अनुदान का इंतजार

मुजफ्फरपुर: किसानों को फसल अनुदान की राशि के लिए किस तरह इंतजार करना पड़ता है. इसकी बानगी धान के बिचड़ा के लिए मिलने वाली अनुदान राशि है. खेतों में फसल तैयार हो गयी है लेकिन अब तक विभाग की ओर से अनुदान राशि के लिए कोई प्रक्रिया नहीं की जा रही है. इससे किसानों में […]

मुजफ्फरपुर: किसानों को फसल अनुदान की राशि के लिए किस तरह इंतजार करना पड़ता है. इसकी बानगी धान के बिचड़ा के लिए मिलने वाली अनुदान राशि है. खेतों में फसल तैयार हो गयी है लेकिन अब तक विभाग की ओर से अनुदान राशि के लिए कोई प्रक्रिया नहीं की जा रही है. इससे किसानों में निराशा है. 15 जून को खरीफ महोत्सव के समय किसानों को संकर किस्म का बीज प्रति किलो 100 रुपये अनुदान पर उपलब्ध कराया गया था. खरीफ योजना के तहत जिले को 1937 क्विंटल धान का बिचड़ा वितरण का लक्ष्य रखा गया था.

प्रखंड वार अलग-अलग लक्ष्य तय कर बिचड़ा दुकानदारों के माध्यम 300- 400 रुपये प्रति किलो के दर पर किसानों को दिया गया था. बिचड़ा खरीदने के समय किसानों से आधार व जमीन की रसीद ली गयी थी. किसानों ने पूरी कीमत चुकता कर बीज खरीदा, लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी राशि का भुगतान नहीं हुआ है. किसानों का कहना है कि अनुदान के नाम पर बाजार दर से अधिक कीमत पर धान का बीज दिया गया. इधर, विभागीय जानकारी के अनुसार योजना के लिए राशि स्वीकृति नहीं होने के कारण अब तक अनुदान राशि का भुगतान नहीं हुआ है. अक्तूबर में किसानों के खाते में अनुदान की राशि भेजने की उम्मीद है.

जिला कृषि पदाधिकारी केके वर्मा ने बताया कि संकर धान के अनुदान का आवंटन प्राप्त नहीं होने के कारण विलंब हुआ है. एक सप्ताह के अंदर किसानों को अनुदान की राशि देने की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी. इधर, किसानों का कहना है िक बीज ही नहीं डीजल अनुदान में भी काफी विलंब होता है. अनुदान मिलने में महीनों लग जाते हैं.

धान बिक्री के लिए निबंधन में जिला अव्वल
सरकारी दर पर धान बेचने के लिए जिले के किसान काफी जागरूक हैं. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में राज्य में केवल 55 किसानों ने निबंधन कराया है. इनमें से जिले के किसानों की संख्या 40 है. इन किसानों में सबसे अधिक संख्या बोचहां प्रखंड के लोहसरी गांव का है. धान बिक्री के निबंधन के लिए एलपीसी या मालगुजारी रसीद, आधार व पासबुक की छाया प्रति देनी है.
किसानों ने जमा पंूजी लगा कर धान का हाइब्रिड बीज खरीदा था, लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी अनुदान की राशि किसानों को नहीं मिली है. किसान बेबस हैं, सरकार को ध्यान देना चाहिए.
नीरज नयन, किसान नेता

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