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नगर निगम: सशक्त स्थायी समिति ने बदल दिया विभाग का फैसला, निगम को 1.92 करोड़ रुपये का घाटा

मुजफ्फरपुर: शहरी क्षेत्र के स्वतंत्र घरों में वाटर कनेक्शन देने में निगम के ‘जिम्मेदारों’ ने खूब मनमानी की. न सिर्फ उन्होंने नगर विकास व आवास विभाग के निर्देशों की अवहेलना कर लोगों को कम शुल्क लेकर वाटर कनेक्शन दिये, बल्कि नये व पुराने कनेक्शन के एवज में लोगों से मासिक शुल्क भी नहीं लिया गया. […]

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मुजफ्फरपुर: शहरी क्षेत्र के स्वतंत्र घरों में वाटर कनेक्शन देने में निगम के ‘जिम्मेदारों’ ने खूब मनमानी की. न सिर्फ उन्होंने नगर विकास व आवास विभाग के निर्देशों की अवहेलना कर लोगों को कम शुल्क लेकर वाटर कनेक्शन दिये, बल्कि नये व पुराने कनेक्शन के एवज में लोगों से मासिक शुल्क भी नहीं लिया गया. इससे निगम को करीब एक करोड़ 92 लाख 44 हजार रुपये का नुकसान हुआ. इसका खुलासा ऑडिट के दौरान हुआ है. स्थानीय लेखा परीक्षा शाखा पटना के वरीय लेखा परीक्षा अधिकारी तनवीर हसन ने इस पर आपत्ति जताते हुए नगर आयुक्त रमेश रंजन प्रसाद को पत्र लिखा है. उन्हें निर्देश दिया है कि वे दोषी लोगों को चिह्नित कर उनसे घाटे की राशि वसूली करें.

12 जुलाई 2013 को नगर विकास एवं आवास विभाग ने निगम प्रशासन को एक पत्र भेजा. इसके अनुसार, नगर निगम क्षेत्र के जिन स्वतंत्र घरों में वाटर कनेक्शन है, उनसे प्रतिमाह 80 रुपये जल शुल्क लेने व नये कनेक्शन के लिए दो हजार रुपये लेने का आदेश जारी किया. ऑडिट के दौरान पता चला कि वर्ष 2015-16 में मुजफ्फरपुर शहरी क्षेत्र में 11,676 घरों में कनेक्शन था. इसमें से 520 परिवारों ने उसी साल कनेक्शन लिया था. सरकारी निर्देशों के अनुसार, दिसंबर, 2016 तक इन परिवारों से मासिक शुल्क के रूप में करीब 1.91 करोड़ रुपये की वसूली की जानी थी. लेकिन उनसे कोई राशि नहीं ली गयी. साथ ही 520 नये कनेक्शन के लिए प्रति परिवार दो हजार रुपये की दर से 10.40 लाख रुपये लिये जाने थे, लेकिन मात्र नौ लाख 12 हजार 470 रुपये वसूले गये. दोनों मद को मिला कर निगम को एक करोड़ 92 लाख 44 हजार रुपये का नुकसान हुआ.

एक दिन पहले शुल्क नहीं लेने का लिया था फैसला
नगर विकास एवं आवास विभाग ने 12 जुलाई 2013 को जल कर 80 रुपये प्रतिमाह व वाटर कनेक्शन शुल्क दो हजार रुपये लेने का फैसला लिया था. लेकिन11 जुलाई 2013 को ही नगर निगम की सशक्त स्थायी समिति की बैठक में जल कर को स्थगित रखने का फैसला ले लिया गया. तय हुआ कि जब तक शहरवासियों को समुचित जलापूर्ति नहीं करा दी जाती, जब तक इसे स्थगित रखा जाये. सरकार का पत्र मिलने के बाद उसी साल 18 दिसंबर को फिर सशक्त स्थायी समिति की बैठक हुई. उसमें तय हुआ कि सभी वार्डों में जलापूर्ति की समुचित व्यवस्था नहीं होने तक इसे स्थगित रखा जाये. इस आलोक में निगम की ओर से आठ जनवरी 2014 को सरकार को पत्र भी लिखा गया.
नियम नहीं देता अधिकार. ऑडिट टीम सशक्त समिति की वैधता पर सवाल उठाये हैं. उसका तर्क है कि बिहार नगरपालिका सशक्त स्थायी समिति कार्य संचालन नियमावली 2010 के नियम-10 के अनुसार, सशक्त स्थायी समिति ऐसा कोई विचार या प्रस्ताव पारित नहीं करेगा, जो नियमावली, विधि या राज्य सरकार के निर्देश के विरुद्ध हो. इस आधार पर 11 जुलाई, 2013 व 18 दिसंबर, 2013 को सशक्त स्थायी समिति में लिया गया फैसला अमान्य है.

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