VIDEO में देखिए, किसी की याद में जब दहकते अंगारों पर नंगे पैर दौड़ने लगे लोग
मुजफ्फरपुर : इमाम हुसैन के लिए हर जख्म और दर्द मंजूर है. यह शोले क्या चीज हैं, हम आग के दरिया में भी कूद जायेंगे. जी हां, कुछ यही कहना था बिहार के मुजफ्फरपुर शहर के कमरा मुहल्ले में रहने वाले मुस्लिम युवा और बुजुर्गों का. गुरुवार की देर रात शहर के कमरा मोहल्ले में […]
मुजफ्फरपुर : इमाम हुसैन के लिए हर जख्म और दर्द मंजूर है. यह शोले क्या चीज हैं, हम आग के दरिया में भी कूद जायेंगे. जी हां, कुछ यही कहना था बिहार के मुजफ्फरपुर शहर के कमरा मुहल्ले में रहने वाले मुस्लिम युवा और बुजुर्गों का. गुरुवार की देर रात शहर के कमरा मोहल्ले में नजारा कुछ ऐसा था, जिसे देखकर लोगों ने दांतों तले उंगली दबायी, तो किसी ने जोर से कहा- या हुसैन. यह मंजर खौफनाक था, लेकिन आग के अंगारों पर चलने वालों ने इमाम के दर्द को आग के शोलों को रौंदकर समझा. कहते हैं कि इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक हिजरी संवत के पहले महीने में पैगंबर मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन एवं उनके साथियों की शहादत में आग पर चलकर उसे याद किया जाता है.
आग पर चलने वाले बच्चे और युवा कह रहे थे, हम आग के शोलों को रौंदकर जाएंगे ,महशर में शिला इसका शब्बीर से पाएंगे नाम सब्बीर का ताशीर बना देता है. कमरा मोहल्ला स्थित नवाब तकी खा इमामबाड़ा का मैदान इमाम हुसैन के लीए जान कुर्बान कर देने के जज्बे का गवाह बना. यहां आग मातम में शिया समुदाय ने दहकते अंगारों पर नगे पाव चल इमाम हुसैन व 72 साथियों की शहादत को शलाम किया. ये साबित किया कि इमाम के लिये हर जख्म व दर्द मंजूर है. अकीदत के साथ बच्चे ,बूढ़े व जवान सभी या हुसैन की सदा लगाते अंगारों से गुजरे. इस खौफनाक मंजर को देख कर कलेजा मुंह को आ रहा था, महिलाएं सिसकियां ले रही थी हर कोई अपने इमाम के लिए आंसू बहा रहा था.
यह हर साल की तरह इस साल भी आग के मातम का आयोजन किया गया था. इमाम हुसैन को याद करते हुए दहकते हुए अंगारों के ऊपर दौड़कर हजारों लोगों ने मातम मनाया. जिसमें बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक शामिल रहे. ‘या हुसैन हम ना हुए’ के नारे लगाते हुए लोगों ने अंगारों पर दौड़ लगा दी. अंगारों से गुजरने के लिए हुसैन के चाहने वालों में होड़ देखने को मिली. वहीं मौजूद लोगों से बात करने पर उन्होंने कहा कि हमारे इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत में हम लोग यह मातम मनाते है. जिसमें सैकड़ो की संख्या में लोग शामिल होते हैं. हम लोग आग के अंगारो में चल कर मातम मनाते हैं. दुनिया के विभिन्न धर्मों के बहुत से त्योहार खुशियों का इजहार करते हैं, लेकिन हम मातम को इस तरह प्रकट करते है.
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