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मुजफ्फरपुर में ब्लू व्हेल गेम का असर

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मुजफ्फरपुर : सुसाइडल गेम ब्लू व्हेल अब जिले में भी पांव पसार रहा है. खासकर प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे इसका शिकार हो रहे हैं. जिले में ऐसे पांच बच्चे मिले हैं जो इस गेम की गिरफ्त में फंस चुके हैं. यह मामला जब सदर अस्पताल तक पहुंचा तो डॉक्टरों समेत पुलिस के होश […]

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मुजफ्फरपुर : सुसाइडल गेम ब्लू व्हेल अब जिले में भी पांव पसार रहा है. खासकर प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे इसका शिकार हो रहे हैं. जिले में ऐसे पांच बच्चे मिले हैं जो इस गेम की गिरफ्त में फंस चुके हैं.

यह मामला जब सदर अस्पताल तक पहुंचा तो डॉक्टरों समेत पुलिस के होश उड़ गये . अच्छी बात यह रही कि समय रहते बच्चों के माता-पिता बच्चों के बदलते हरकत से इसको भांप गये. अब बच्चों का इलाज मानसिक रोग विशेषज्ञ के यहां चल रहा है.

अस्पताल में इलाज करा रहे बच्चों की उम्र महज 16 साल व 15 साल ही है. सभी आठवीं व नौवीं के छात्र हैं. मानसिक
मुजफ्फरपुर में ब्लू…
रोग विशेषज्ञ डॉ एके झा बताते हैं कि पहले राजधानी में इस तरह का मामला सामने आता था, लेकिन अब अपने जिले में भी बच्चे इसके शिकार होने लगे हैं. फिलहाल पांच बच्चों के केस सामने आ चुके हैं. चौंकाने वाली बात है कि दो बच्चे अपने बांये हाथ पर तीन जगह ब्लेड से निशान लगा चुके थे. इसके बाद उनके माता-पिता को इसकी जानकारी हुई. बताया जाता है कि इस गेम में पहले फेज या दूसरे फेज को पूरा करने पर कुछ इस तरह के निशान बनाने होते हैं.
श्री झा बताते हैं कि इस गेम का टास्क पूरे करने वाले बच्चों का व्यवहार और मानसिक दशा बदल जाती है. पांचों बच्चों ने क्लास रूम में अपने साथियों से गेम के चैलेंजिंग टास्क पर चर्चा की. उल्टी-सीधी हरकतों की सेल्फी ली, तब उनके साथियों के जरिये पैरेंटस को पता चला. डॉ झा कहते हैं कि जिले के बच्चों में ब्लू व्हेल गेम अभी शुरुआती स्टेज में है. जैसे-जैसे स्टेज बढ़ता जायेगा, क्रूरता और हिंसक मामले सामने आते जायेंगे. डॉ झा ने बताया कि अभी जो बच्चे उनके पास इलाज करा रहे हैं, वह पहले स्टेज में है. अभी उनका इलाज दवा और काउंसेलिंग के माध्यम से किया जा रहा है.
क्या है ब्लू व्हेल गेम
ब्लू व्हेल सुसाइड चैलेंज गेम में बच्चों का ब्रेनवॉश कर उनकी भावनाओं को भड़काता है. इस गेम में 50 टास्क हैं. गेम खेलने वालों को प्रतिदिन एक अजीबोगरीब टास्क पूरा करना होता है. यह गेम ऑनलाइन होता है. सामने का व्यक्ति नहीं दिखता है लेकिन उनके इशारे पर इस गेम को खेला जाता है.
पांच बच्चों का सदर अस्पताल में चल रहा इलाज
इलाज करा रहे बच्चों की उम्र
15 से 16 साल
मानसिक रोग विशेषज्ञ कर रहे हैं उनकी काउंसेलिंग

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