भ्रष्टाचार के मुद्दों पर ज्यादा सुर्खियों में रहे नगर आयुक्त

नगम निगम. तबादले के साथ ही बदलने लगी राजनीित ऑटो ट्रीपर, सुपर सकर मशीन व डस्टबीन की खरीदारी में लगा है अनियमितता का आरोप मुजफ्फरपुर : करीब ढाई साल का कार्यकाल नगर आयुक्त व शहर के लिए काफी विवादों से भरा रहा. मार्च 2015 में तत्कालीन आइएएस नगर आयुक्त हिमांशु शर्मा के तबादले के बाद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 2, 2017 6:23 AM

नगम निगम. तबादले के साथ ही बदलने लगी राजनीित

ऑटो ट्रीपर, सुपर सकर मशीन व डस्टबीन की खरीदारी में लगा है अनियमितता का आरोप
मुजफ्फरपुर : करीब ढाई साल का कार्यकाल नगर आयुक्त व शहर के लिए काफी विवादों से भरा रहा. मार्च 2015 में तत्कालीन आइएएस नगर आयुक्त हिमांशु शर्मा के तबादले के बाद रमेश प्रसाद रंजन को नगर निगम की जवाबदेही मिली थी. कार्यभार संभालने के कुछ दिनों बाद ही इनकी तत्कालीन उप महापौर सैयद माजिद हुसैन से विवाद हो गयी थी. एक-दूसरे के खिलाफ खूब कागजी लिखा-पढ़ी हुई. इसके बाद शहरी क्षेत्र में इलेक्ट्रिक पोलों पर 60 से 80 रुपये कीमत के नंबर प्लेट को छह सौ रुपये में खरीदारी कर सुर्खियों में आये. पूर्व महापौर समीर कुमार ने बड़ा घाेटाला का आरोप लगाया, तब नगर आयुक्त व पूर्व महापौर के बीच खूब बयानबाजी हुई.
नयी सरकार बनने के कुछ दिनों में ही इनकी उप महापौर मान मर्दन शुक्ला से शहर में विभागीय स्तर पर सबमर्सिबल पंप लगवाने के नाम पर ठन गयी. उन्होंने अन्य कई भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर नगर आयुक्त के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. बोर्ड की मीटिंग में मुद्दा उठा, तब मारपीट का आरोप लगा नगर आयुक्त ने चार पार्षदों पर एससी/एसटी एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज करा दी. विवाद आगे बढ़ा. निगम में धरना-प्रदर्शन हुआ. एक-दूसरे के खिलाफ फिर नगर आयुक्त व उप महापौर ने कागजी लिखा-पढ़ी की. हालांकि, नगर आयुक्त को इस बार की लड़ाई काफी महंगा पड़ गया. इनके खिलाफ कई जांच टीम गठित हो गयी. बावजूद, विभागीय कार्य धड़ल्ले से कराये जा रहे थे.
सीएम यात्रा के दौरान हंगामे की थी आशंका : शहरी क्षेत्र में ठप विकास योजनाओं व लगातार नगर निगम में उजागर हो रहे वित्तीय अनियमितता के बाद कोई कार्रवाई नहीं होने से निगम का माहौल इन दिनों काफी खराब हो गया था. महापौर व उप महापौर भी नगर आयुक्त के कार्यों से संतुष्ट नहीं थे. नगर आयुक्त पर इन दोनों को नजरअंदाज कर फैसला लेने का आरोप लग रहा था. गलत लोगों को संरक्षण देने का आरोप लगा कर्मचारियों ने भी इनके खिलाफ आंदोलन की बिगुल फूंक दिया था.
इन सब मुद्दों पर सीएम को विकास सह समीक्षा यात्रा से पहले नगर निगम को लेकर काफी खराब फीडबैक मिला. उन्हें स्थानीय जदयू नेताओं ने बताया कि अगर नगर आयुक्त के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है, तब उन्हें इस मुद्दे पर मुजफ्फरपुर में कुछ पार्षद, जनप्रतिनिधि व आम पब्लिक घेर सकते हैं. इसकी रणनीति बनायी जा रही है. इसके बाद अचानक नगर आयुक्त को हटाने का फैसला लिया गया.

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