मुजफ्फरपुर के थियेटर का हाल

जाना, फिर मुस्करा कर रह गये यशवंत पराशर ने 2015 में पृथ्वी थियेटर में शशि कपूर से की थी भेंट मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर में थियेटर का हाल जाना, फिर मुस्करा कर रह गये. पैरालाइसिस के कारण स्टार अभिनेता रहे शशि कपूर को बाेलने में परेशानी थी, इसलिए बोलते नहीं थे, लेकिन सुनते सब कुछ थे. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 5, 2017 7:25 AM

जाना, फिर मुस्करा कर रह गये

यशवंत पराशर ने 2015 में पृथ्वी थियेटर में शशि कपूर से की थी भेंट
मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर में थियेटर का हाल जाना, फिर मुस्करा कर रह गये. पैरालाइसिस के कारण स्टार अभिनेता रहे शशि कपूर को बाेलने में परेशानी थी, इसलिए बोलते नहीं थे, लेकिन सुनते सब कुछ थे. चेहरे की रंगत बता रही थी कि उन्हें यह सब सुनना अच्छा लग रहा है. बीच-बीच में मुस्कराहट और सुनने की इच्छा बता रही थी. करीब एक घंटे तक शहर की गतिविधियों से अवगत होते रहे. इस दौरान साठ के दशक में पृथ्वी थियेटर के साथ पृथ्वीराज कपूर के शहर पहुंचने की यादें भी ताजा हुई.
यह क्षण 29 मई, 2015 का था. शहर के संगीतज्ञ डॉ यशवंत पराशर उनसे मिलने पृथ्वी थियेटर पहुंचे थे. शशि कपूर की बेटी संजना कपूर थियेटर संभालती थी. शशिकपूर रोज शाम यहां आकर बैठते थे. चलने में सक्षम नहीं थे. उन्हें ह्वील चेयर पर लाया जाता था. वे यहां रोज शाम काॅफी पीते. कुछ देर बैठते फिर वापस घर जाते. शहर को बताने के क्रम में डॉ पराशर ने छायावाद कविता के स्तंभ आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री का भी जिक्र किया. पृथ्वीराज कपूर इनके अभिन्न मित्र थे. ये मुजफ्फरपुर स्थित आचार्य के घर निराला निकेतन में दो बार आये भी थे.
हमेशा साथ रहती थी आचार्य की पुस्तक. अभिनेता विजय खरे ने आचार्य शास्त्री को मुंबई में शशि कपूर से मिलवाया था. उस वक्त आचार्य अपने साथ पृथ्वीराज कपूर पर लिखी पुस्तक नाट्य सम्राट पृथ्वीराज कपूर लेकर गये थे. शशिकपूर ने उस पुस्तक को अपनी कार में रखवा लिया. तब से ये पुस्तक हमेशा उनके साथ रही. वे शूटिंग पर भी जाते थे तो यह पुस्तक उनके कार में रहती थी. संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेता व नया थियेटर के निर्देशक रामचंद्र सिंह कहते हैं कि शशि कपूर को बिहार के नाटकारों से काफी प्रेम था. उन्होंने मुंबई में नया थियेटर के शो को देखा था. राजरक्त की प्रस्तुति की गयी थी. उनसे पहला संपर्क तभी हुआ. उसके बाद कई बार उनसे मिलने का मौका मिला. 2010 में उनसे अंतिम भेंट हुई थी. वे थियेटर से जुड़े लोगों का काफी सम्मान करते थे.

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