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इंजीनियरिंग कॉलेज को अशांत कर रहे ‘निगेटिव वायरस’
मुजफ्फरपुर : बिहार के सबसे प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेजों में शुमार मुजफ्फरपुर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) में इन दिनों ‘निगेटिव वॉयरस’ सक्रिय हैं. पिछले दो सप्ताह में बढ़ी इनकी सक्रियता ने कैंपस के माहौल को अशांत कर दिया है. हालत ये है कि पिछले आठ महीने में जो हालात सुधरे थे, फिलहाल उस पर ब्रेक लग […]
मुजफ्फरपुर : बिहार के सबसे प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेजों में शुमार मुजफ्फरपुर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) में इन दिनों ‘निगेटिव वॉयरस’ सक्रिय हैं. पिछले दो सप्ताह में बढ़ी इनकी सक्रियता ने कैंपस के माहौल को अशांत कर दिया है. हालत ये है कि पिछले आठ महीने में जो हालात सुधरे थे, फिलहाल उस पर ब्रेक लग गया है. छात्र-छात्राओं के हित में जो काम शुरू हुए थे, वे ठप हो गये. यहां तक कि हाल के दिनों में दो-तीन बड़ी कंपनियों की ओर से कैंपस सेलेक्शन की भी योजना थी, लेकिन हंगामे के बाद प्रबंधन के स्तर से उस पर चर्चा भी बंद हो गयी है.
एमआइटी की छवि इस साल की शुरुआत तक ठीक नहीं थी. आये दिन होनेवाले विवादों में एमआइटियंस का नाम सामने आने के कारण बेहतरीन संस्थान होने के बावजूद छवि धूमिल हो चुकी थी. प्राचार्य के रूप में डॉ जेएन झा के कार्यभार संभालने के बाद कई तरह की कठिनाइयों के बावजूद स्थिति में सुधार हुआ. बीच में दो बार छात्रों के बीच विवाद हुआ, तो उसमें कॉलेज प्रबंधन ने कड़े कदम उठाये. दोषी छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की. साथ ही छात्र-छात्राओं को सृजनात्मक कार्यों से जोड़ने के लिए मॉक्सी क्लब सहित अन्य संगठनों की सक्रियता बढ़ायी गयी, जिसने विभिन्न आयोजनों में अपनी सकारात्मक भूमिका निभाई. दो बड़ी कंपनियों की ओर से कैंपस सेलेक्शन के साथ ही छात्रों के प्रोजेक्ट्स की कार्यशाला भी लगी. सबकुछ सुधर रहा था, तबतक 14 दिसंबर को छात्रों ने हंगामा कर दिया.
अभी भी सहमे हैं शिक्षक व कर्मचारी : हंगामे के कारण हॉस्टल खाली कराने के बाद भी मामला दबा नहीं है. लगभग दो सप्ताह बाद भी एमआइटी के शिक्षक व कर्मचारी सहमे हैं. इस बीच प्राचार्य को धमकी मिलने के कारण मुश्किलें और बढ़ गयी हैं.
हादसा नहीं, प्लानिंग का हिस्सा था हंगामा
14 दिसंबर को एलएस कॉलेज में हुए विवाद की खीझ कुछ छात्राें ने एमआइटी में पहुंचकर निकाली. प्रशासनिक भवन, प्राचार्य कक्ष व स्मार्ट क्लास को पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया. कॉलेज के शिक्षकों का मानना है कि यह केवल हादसा नहीं था, बल्कि इसके पीछे बड़ी प्लानिंग का हाथ हो सकता है. हालांकि, इसमें पुलिस की जांच से ही कुछ सामने आ सकता है. फिलहाल यही कहा जा रहा है कि पिटाई से आक्रोशित छात्रों ने अपना गुस्सा निकाला.
पहले भी हो चुकी है कड़ी कार्रवाई
इस साल मार्च में हुए छात्रों के विवाद में अनुशासन समिति की रिपोर्ट के आधार पर तीन छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की गयी थी. उनका सर्टिफिकेट रोकने के साथ ही अर्थदंड भी लगाया गया. कहा जा रहा है कि इस तरह की सख्ती को लेकर कुछ छात्रों में नाराजगी थी, जो हंगामे के रूप में सामने आयी. वहीं छात्रों के गुस्से को कुछ शिक्षक भी हवा दे रहे हैं, जो नहीं चाहते कि हालात सुधरे.
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