साइबर क्राइम के बढ़ते ग्राफ ने बढ़ायी पुलिस की बेचैनी
चंदन सिंह मुजफ्फरपुर : साइबर क्राइम की घटना में हो रही वृद्धि ने जिला पुलिस की बेचैनी बढ़ा दी है. जिले में हर दिन कम से कम तीन लोग इसके शिकार हो रहे है़ं घटना पुलिस तक पहुंचती भी है. लेकिन, संसाधन के अभाव का रोना रोकर जांच के नाम पर खानापूर्ति कर फाइल ठंडे […]
चंदन सिंह
मुजफ्फरपुर : साइबर क्राइम की घटना में हो रही वृद्धि ने जिला पुलिस की बेचैनी बढ़ा दी है. जिले में हर दिन कम से कम तीन लोग इसके शिकार हो रहे है़ं घटना पुलिस तक पहुंचती भी है. लेकिन, संसाधन के अभाव का रोना रोकर जांच के नाम पर खानापूर्ति कर फाइल ठंडे बस्ते में डाल देती हैं.
साइबर क्राइम के पीड़ित थानों के चक्कर काटते मिलते हैं. पुलिस का हाल यह है कि कोई व्यक्ति थाने पर साइबर क्राइम के मामले को लेकर थाने पहुंचता है, तो केस दर्ज करने से पहले थानेदार तरह-तरह का बहाना बना केस दर्ज करने में अनाकानी करता है. अगर, वरीय पुलिस पदाधिकारियों के निर्देश पर प्राथमिकी दर्ज कर भी ली जाती हैं तो, मामले की जांच आगे नहीं बढ़ पाती.
इंटरनेट के माध्यम से होने वाले अपराध साइबर क्राइम की कैटेगरी में आती हैं, जैसे- इंटरनेट से क्रेडिट कार्ड की चोरी, ब्लैक मेलिंग, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क फ्रॉड, पोर्नोग्राफी, अकाउंट हैक करना, किसी सॉफ्टवेयर के जरिये वायरस भेजना, किसी को आपत्तिजनक या धमकी भरे मैसेज भेजना.
आर्थिक अपराध इकाई पटना करेगी मॉनीटरिंग
जिले में साइबर क्राइम को लेकर दर्ज हो रहे मामले में अनुसंधानक टीम की बरती जा रही लापरवाही पर पुलिस मुख्यालय सख्त कदम उठाया है. अब आर्थिक अपराध इकाई पटना से इस तरह के मामलों में जांच के लिए मॉनीटरिंग की जायेगी. इसके लिए अनुसंधानक को चार बिंदुओं पर निर्देश दिया गया हैं.
एहतियाती कदम
साइट्स का इस्तेमाल करते समय जरूरी है कि आप सिक्योरिटी सिस्टम को एक्टिवेट करें, किसी भी अनजान शख्स की रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट न करें.
अपनी फोटो व पर्सनल जानकारी रिस्ट्रिक्ट कर दें ताकि गिने-चुने दोस्तों को छोड़कर कोई अन्य व्यक्ति उस तक न पहुंच सके.
ऑनलाइन निजी जानकारी (फोन नंबर, बैंक डिटेल आदि) किसी से शेयर न करें, उत्तेजक स्क्रीन नाम या ईमेल एड्रेस का इस्तेमाल न करें.