मुजफ्फरपुर : रासायनिक खाद के उपयोग से कृषि की भूमि 400 वर्षों में बंजर हो जाती है. ऐसे किसान जो अपनी कृषि भूमि को रसायनिक खाद के उपयोग से बंजर बना चुके हैं. वे भी अब जैविक खेती का विचार करने लगे हैं. देश में जैविक खेती की परंपरा काफी पुरानी है. किसान हजारों वर्षों से अपनी जैविक खेती कर अपनी भूमि की उर्वरा शक्ति बचाये हुए हैं. आज के समय में यह देश की जरूरत है. उक्त बातें सरसंघ चालक डॉ मोहन भागवत नेबिहारकेमुजफ्फरपुर में बुधवार को किसानों को संबोधित करते हुए कहीं.
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सदातपुर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर सह भारती शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान में आयोजित चार दिवसीय कार्यकर्ता शिविर के पहले दिन किसानों को ग्राम विकास हेतु मार्गदर्शन किया. इस मौके पर बिहार व झारखंड के प्रत्येक जिलों से पहुंचे दो-दो किसानों को उन्होंने जैविक खेती करने की सलाह दी. सरसंघ चालक ने कहा कि किसान जैविक खेती अपना कर खेती का लागत मूल्य घटाएं व जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाएं.
किसानों को संघ से जुड़ने का आह्वान
मोहनभागवत ने कहा कि गांव की समस्या का समाधान गांव के लोग ही कर सकते हैं. उन्होंने किसान स्वयंसेवकों की ओर से ग्राम विकास के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि जैविक खेती के बल पर किसान स्वावलंबी व सामर्थ्यवान हो सकते हैं. सरसंघ चालक ने कहा कि संघ की 40 हजार से अधिक शाखाएं गांव में चल रही है. उन्होंने किसानों से संघ के साथ जुड़ने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि शाखा के माध्यम से गांव में ग्राम विकास का कार्य आरंभ हो, यही उनकी कोशिश है.
गांव की उन्नति के लिए गांव एकता की जरूरत : मोहन भागवत
मोहन भागवत ने कहा, भेदभावमुक्त समाज का निर्माण करना ही संघ का उद्देश्य है. उन्होंने कहा कि पूरे देश में स्वयंसेवकों के प्रयास से समाज के आधार पर 318 ग्रामों में ग्राम विकास का उल्लेखनीय कार्य किया गया है. इस मौके पर विभिन्न जिलों से आये 150 किसानों के अलावा उत्तर पूर्व क्षेत्र संघचालक सिद्धिनाथ सिंह, उत्तर बिहार संघचालक विजय जायसवाल व दक्षिण बिहार सह संघचालक राजकुमार सिन्हा मौजूद थे.
8फरवरी को आशावान कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण
शिविर के दूसरे दिन गुरुवार कोमोहन भागवत आशावान स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करेंगे. ऐसे स्वयंसेवक जो पूर्णकालिक स्व्यंसेवक बन सकते हैं, उनकी पहचान कर उन्हें शिविर में आमंत्रित किया गया है. सरसंघ चालक उन्हें अनुशासन के साथ कार्यों की सीख देंगे. साथ ही पूर्णकालिक स्वयंसेवकों के दायित्व से भी अवगत करायेंगे.