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विविधताओं में एकता की बात करनेवाले सभी हिंदू : डॉ मोहन भागवत

मुजफ्फरपुर : विविधताओं में एकता की बात करनेवाला सभी हिंदू है. हिंदू किसी पूजा-पद्धति, जाति व भाषा का नाम नहीं है, जो पंरपरा से उपदेश तक सबको स्वीकार करता है, एकत्रता का दर्शन करता है व जीवन को परम लक्ष्य मानकर त्याग व संयम का परिचय देता है, वह हिंदुस्थान देश का वासी है. उक्त […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 11, 2018 5:59 PM

मुजफ्फरपुर : विविधताओं में एकता की बात करनेवाला सभी हिंदू है. हिंदू किसी पूजा-पद्धति, जाति व भाषा का नाम नहीं है, जो पंरपरा से उपदेश तक सबको स्वीकार करता है, एकत्रता का दर्शन करता है व जीवन को परम लक्ष्य मानकर त्याग व संयम का परिचय देता है, वह हिंदुस्थान देश का वासी है. उक्त बातें सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने रविवार को जिला स्कूल मैदान में जिले के स्वयंसेवकों के बौद्धिक प्रशिक्षण शिविर में कहीं. उन्होंने कहा कि 1940 के पहले सभी विचारकों के अनुसार हिंदुस्तान हिंदुत्ववादी देश था. सभी के विचार समान थे. सभी ने यह माना था कि हिंदुस्तान हिंदुवादी है. यह बातें उस समय की पुस्तकें कहती हैं. इससे इनकार नहीं किया जा सकता. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद इन विचारों में बदलाव आया.

डॉ भागवत ने स्वयंसेवकों के चरित्र निर्माण पर भी बल दिया. उन्होंने कहा कि स्वयंसेवक आजीविका से लेकर सामाजिक जीवन में पूरी निष्ठा व ईमानदारी से कार्य करे. इससे पहचान बनेगी. एक आदर्श बनेगा. इसके लिए उन्होंने कहा कि हमें प्रत्येक दिन शाखा में जाना चाहिए. यह नहीं हो पाये, तो सप्ताह या महीने में एक बार जरूर जाएं. अगर इतना भी वक्त नहीं मिले, तो बौद्धिक प्रशिक्षण शिविर में तो जरूर भागीदारी होनी चाहिए. अच्छी चीजों को हमें अपने जीवन में शामिल करना चाहिए. प्रशिक्षण के दौरान डॉ भागवत ने कई उदाहरणों से स्वंयसेवकों को अनुशासन, ईमानदारी व चरित्र को मजबूत बनाने की सीख दी. इससे पूर्व पूर्व संघ गीत ‘स्वयंकर साध कर हमको देश को जगाना है…’ गीत का गायन हुआ. इसके बाद स्वयंसेवकों ने संघ का झंडा फहराया. फिर एकल गीत पूर्ण विजय संकल्प हमारा अनथक अविरक साधना गाया गया. डॉ भागवत के साथ मंच पर क्षेत्र संघचालक सिद्धिनाथ सिंह व महानगर संघचालक संजय मुरारका मौजूद थे. बौद्धिक प्रशिक्षण शिविर में करीब 1500 स्वयंसेवक शामिल हुए थे.

जरूरत पड़ी तो तीन दिनों में तैयार कर देंगे संघ सैनिक

डॉ भागवत ने कहा कि जरूरत पड़ी तो जितना सैनिक मिलिट्री छह महीने में तैयार करेगी, उतना हम तीन दिनों में तैयार कर दें. संविधान इजाजत दे तो हमारे संघ सैनिक सीमा पर भी जाने को तैयार हैं. यह शक्ति संघ के अनुशासन से ही आ पायी है. भारत-चीन के युद्ध की चर्चा करते हुए डॉ भागवत ने कहा कि जब चीन से हमारा युद्ध हुआ, तो सिक्किम सीमा क्षेत्र तेजपुर की पुलिस चीन के डर से भाग खड़ी हुई. उस समय संघ के स्वयंसेवक सीमा पर मिलिट्री फोर्स के आने तक डंटे रहे व लोगों को ढांढ़स बढ़ाया. हमारे स्वयंसेवकों ने ऐसे जिम्मेवारी निभायी, जो स्वयंसेवक होते हैं, वे पूरे देश को अपना मानते हुए खुद के लिए रत्ती भर भी इच्छा नहीं रखते. ऐसा व्यक्ति संस्कारों के साथ देश के लिए जीता है. ये देश के लिए अपना जीवन बलिदान भी कर सकते हैं. यह आदत होती है, जो धीरे-धीरे बनती है. डॉ भागवत ने स्वंसेवकों को सोच-समझ कर काम करने की भी सीख दी. उन्होंने कहा कि बहुत दिनों तक एक काम करने से आदत बन जाती है, लेकिन कोई भी काम बिना विचारे नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि आज लोग स्वयंसेवक जैसा बनना चाहते हैं. इसका कारण यह है कि हमलोगों ने समाज के सामने आदर्श पेश किया है. हमें ऐसे ही अनुशासन से काम करना है. घर से लेकर बाहर तक एक उदाहरण प्रस्तुत करना जरूरी है. समाज की सेवा करने में हमलोगों को सक्रिय होना पड़ेगा. यह सजगता नियमित रूप से शाखा की साधना से ही आयेगी. डॉ भागवत ने कहा कि आरएसएस कार्य देश को सुखी-समृद्ध बनाना है. जिस दिन यह लक्ष्य पूरा हो जायेगा. यह संगठन समाप्त हो जायेगा.

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