मुजफ्फरपुर : प्रेम के शब्द नहीं होते. यह मूक होता है. आंखें ही संवाद कर लेती हैं. जब एक-दूसरे में एक समान भाव हो तो जाति-धर्म व सामाजिक बंधन कोई मायने नहीं रखता. लाख मुश्किलें आये, लेकिन दो आत्माओं के मिलन पर किसी की मर्जी नहीं चलती. शहर में कई युवा ऐसे हैं, जिन्होंने जाति-धर्म के सामाजिक बंधनों से जूझ कर अपने सुखमय जीवन की राह तलाशी है. बाढ़ में नियुक्त सेल टैक्स पदाधिकारी संतोष कुमार व पूजा प्रिया की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. अलग जातियों के होने के कारण इन्हें पारिवारिक मर्जी से शादी करने में काफी परेशानी हुई. लेकिन, दोनों ने हार नहीं मानी. इनकी जिद के आगे परिवार वालों को शादी के लिए तैयार होना पड़ा
2008 में प्रेम निवेदन को पूजा ने किया स्वीकार
शिवपुरी के रहनेवाले संतोष कुमार की पूजा से जान-पहचान शहर से ही थी, लेकिन फ्रेंडशिप थी. 2008 में संतोष सिविल सर्विसेज की तैयारी करने दिल्ली चले गये. मिठनपुरा की पूजा भी सिविल सर्विसेज की तैयारी करने दिल्ली आयी. यहां दोनों में मिलना-जुलना अधिक हो गया. दोनों एक ही जगह तैयारी करते थे. धीरे-धीरे फ्रेंडशिप प्यार में बदल गया. फिर दोनों ने एक दूसरे के साथ शादी का संकल्प लिया. हालांकि, दोनों ने अपने घरवालों को कुछ नहीं बताया. 2013 में संतोष बीपीएससी की परीक्षा में सफल रहे. मेरिट लिस्ट में इन्हें 24वां स्थान मिला. इसके बाद में दोनों ने अपने परिवार वालों से बात की. लेकिन, दोनों पक्ष शादी के लिए तैयार नहीं थे. काफी मशक्कत के बाद संतोष के परिवार के लोग तैयार हो गये, लेकिन पूजा के घरवाले नहीं मान रहे थे. पूजा ने सोच लिया था कि संतोष से ही विवाह करूंगी. आखिरकार इनके परिवारवालों को मानना पड़ा. 2015 में दोनों की शादी हुई. फिलहाल पूजा सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रही हैं. संतोष व पूजा कहते हैं कि हमलोगों ने जैसा सोचा वैसा किया. हमलोग अपने निर्णय से काफी खुश हैं.