मुजफ्फरपुर : जनवरी में पड़ी कड़ाके की ठंड के बाद फरवरी में मौसम के पूरी तरह बदल जाने से उत्तर बिहार के किसानों की बल्ले-बल्ले है. खासकर लीची व आम उत्पादक किसानों के साथ गेहूं व दलहन उत्पादकों के लिए मौसम अनुकूल है.लगातार ठंड पड़ने के साथ न्यूनतम तापमान के पांच डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं जाने से पाला का असर पेड़ों पर नहीं हुआ है
इसके कारण इस साल आम व लीची के बागानों के फलों से लदने का अनुमान है. इसका संकेत मिलने लगा है. आम व लीची पर मंजर आने लगा है. लगातार चल रही पछिया हवा से मंजर पर क्रीड़ा व मधुआ रोग लगने का खतरा फिलहाल नहीं दिख रहा है. दिन व रात के तापमान में अगर अधिक अंतर नहीं आता है तो इस साल लीची व आम के फल से बगान लद जायेंगे.
फलोत्पादन के साथ गेहूं व दलहनी फसलों के बेहतर उत्पादन होने की आशा है.मौसम के हिसाब से इस वर्ष जनवरी का महीना फल उत्पादन के लिए काफी अनुकूल रहा है.
90 घंटे तक आठ डिग्री तापमान उत्पादन के लिए बेहतर
शाही लीची के साथ आम के बेहतर उत्पादन के लिए पेड़ो को 90 घंटे से अधिक समय तक आठ डिग्री सेल्सियस के आसपास तापमान चाहिए. चार डिग्री से कम तापमान हानिकारक है. तापमान के बहुत कम होने से आम व लीची के पौधों को पाला लगता है व उत्पादन में भी कमी आती है. सरैया एमबीआरआई भटौलिया के निदेशक अविनाश कुमार बताते है जनवरी व फरवरी का तापमान लीची के साथ आम के बेहतर उत्पादन के लिए बहुत अनुकूल है. जनवरी में तापमान के कम रहने से इस वर्ष लीची व आम में समय से मंजर आया है. मौसम अनुकूल होने से गेहूं की जड़ से काफी पौधे (टिलर) निकले हैं. इससे गेहूं के बेहतर उत्पादन की संभावना बढ़ी है. हालांकि, किसानों को अभी गेहूं की फसल पर ध्यान देने की आवश्यकता है.
गेहूं में समय से सिंचाई, यूरिया का छिड़काव, खर-पतवार नाशी का छिड़काव व चूहे से बचाव करना जरूरी है.
उत्तर बिहार में पड़ी कड़ाके की ठंड से आम, लीची व गेहूं का उत्पादन बेहतर होने का अनुमान
दलहन के लिए भी ठीक है मौसम
फलों के लिए इस साल का मौसम काफी अनुकूल है. पौधा में स्वस्थ्य मंजर लग रहा है. आने वाले समय में दिन व रात के तापमान में अधिक अंतर नहीं रहा तो निश्चित रुप से फल उत्पादन बढ़िया होगा.
डॉ अनिल कुमार, उधान वैज्ञानिक, सरैया कृषि विज्ञान केंद्र