मुजफ्फरपुर : हमरा छोड़ के कहां चल गेला हो हमर बिरजू, अब हम केकरा सहारे जिंदा रहबई… हो बाबू साहेब सब कोई त हमर लाल के चेहरा दिखा द… हम अब कौन बेटा के स्कूल जाये लेल सुबह-सुबह तैयार करबई… कौन हमरा से रोज स्कूल जाये के लेल 20 रुपइया मंगतई… हे भगवान ई कौन जुल्म हमरा परिवार पर ढाह देला… अब केना जिंदगी कटतई… बेटे बिरजू की मौत की खबर सुनने के बाद एसकेएसमीएच पहुंची जानकी देवी बदहवास थी. वह इमरजेंसी के बाहर अपने कलेजे के टुकड़े की एक झलक पाने के लिए तड़प रही थी. परिवार के लोग उसकी स्थिति देख उसे इमरजेंसी में अंदर नहीं जाने दे रहे थे. दोपहर करीब तीन बजे जब उसे पता लगा कि उसके बेटे को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है.
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चीत्कार से दहल रहा था परिसर, हे भगवान… अब हम केकरा सहारे जिंदा रहबई
मुजफ्फरपुर : हमरा छोड़ के कहां चल गेला हो हमर बिरजू, अब हम केकरा सहारे जिंदा रहबई… हो बाबू साहेब सब कोई त हमर लाल के चेहरा दिखा द… हम अब कौन बेटा के स्कूल जाये लेल सुबह-सुबह तैयार करबई… कौन हमरा से रोज स्कूल जाये के लेल 20 रुपइया मंगतई… हे भगवान ई कौन […]
हमर बाबू के देखे द हो गार्ड साहेब, उ जिंदा हई न
हमर बाबू के देखे द हो गार्ड साहेब… उ जिंद हई कि होगेलई कुछ पता न चल पा रहल हई… बाहर जाइछी त लोग सब कहई छई कि अंदर तोहर बेटा के इलाज चलई छऊ, आ अंदर गेली त हमर बेटा न मिललई… कोई त बता द कि हमर बाबू कहां है हो लोग सब… यह हाल इंद्रदेव सहनी की पत्नी इंदु देवी का था. हादसे में उसकी 10 वर्षीय पुत्री नीता कुमारी की मौत हो गयी. वहीं, 12 वर्षीय बेटे चमन का कुछ पता नहीं चल पा रहा था. डॉक्टर उसको अल्ट्रासाउंड रूम में इलाज के लिए ले गये थे. वहीं, इंदु अपने बेटे को इमरजेंसी के अंदर व बाहर ढूंढ़ रही थी. बार-बार अंदर-बाहर करने के बाद इमरजेंसी के गेट पर तैनात गार्ड ने इंदु को अंदर जाने से मना कर दिया. इसके बाद वह रो-रोकर गार्ड से अंदर जाने की विनती करती रही. मां की बेचैनी को देख गार्ड ने उसे अंदर जाने दिया.
या अल्लाह ई का हो गया… हमर दुलारी बेटी की आंख से खून निकल रहा है
या अल्हा ई का हो गया… हमर दुलारी बेटी शफीना के अांख से खून निकल रहा है. सांस भी नहीं चल रही है. कइसन आफत दिहा हो अल्लाह… हमर परिवार के सभी बच्चा के जिंदगी छीन लेला हो अल्लाह… थोड़ा चादर हटावा हो हमर और बेटी व भतीजी के पहचान करे के हा… हमर साजिया, नूसरत, शाहजहां भतीजी के भी आंख-नांक व कान से खून निकल रहा है. अल्लाह हमर पूरा परिवार ही उजड़ गया… अब कैसे जिंदगी कटतई… यह हाल अपनी बेटी व भतीजी के शव के पास रो-रो कर बेसुध हुए मो. शाहिद का था. हादसे में उसके परिवार को चार बच्चे की मौत हो गयी. वहीं, तीन गंभीर बच्चे रूप से जख्मी हैं.
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