बिहार : कंधे पर थी अरथी, डगमगा रहे थे कदम, तीन घरों का बुझा दीपक, गांव में पसरा मातमी सन्नाटा

मुजफ्फरपुर : बचपन में बेटे को अंगुली पकड़ कर चलना सिखाया. थोड़ा बड़ा हुआ, तो हाथ पकड़ कर स्कूल पहुंचाया. दसवीं की परीक्षा देते ही बेटे को लेकर तरह-तरह के सपने सपने सजाये, लेकिन क्या पता था कि एक झटके में सारे सपने बिखर जायेंगे. जिसको अपने बुढ़ापे का सहारा बनना था उसकी ही अरथी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 9, 2018 5:30 AM
मुजफ्फरपुर : बचपन में बेटे को अंगुली पकड़ कर चलना सिखाया. थोड़ा बड़ा हुआ, तो हाथ पकड़ कर स्कूल पहुंचाया. दसवीं की परीक्षा देते ही बेटे को लेकर तरह-तरह के सपने सपने सजाये, लेकिन क्या पता था कि एक झटके में सारे सपने बिखर जायेंगे. जिसको अपने बुढ़ापे का सहारा बनना था उसकी ही अरथी को कंधा देते समय पिता के पैर डगमगा रहे थे. कोई कलेजा पीट अपनी बदनसीबी पर रो रहा था, तो कोई भगवान को कोस रहा था.
आंख से गिरते आंसू, डगमगाते कदम को संभालते हुए पिता ने अपने अरमानों की अरथी शमशान पहुंचायी. यह हाल केशोपुर हाट में बुधवार की रात हुए भीषण सड़क हादसे में अपने परिवार का चिराग खोने के बाद दर्द में डूबे बदहवास पिता का था. परिवार व मुहल्ले के लोग उन्हें संभालने की कोशिश कर रहे थे. अपने सपनों की अरथी देने वाले बदनसीब पिता के चीत्कार को देख उनकी भी आंखें नम हो जाती थीं.
– मछही में तीन घरों का बुझा दीपक, गांव में पसरा मातमी सन्नाटा
मछही गांव में तीन घरों का दीपक बूझ गया. गुरुवार को पूरे गांव में मातमी सन्नाटा पसरा रहा. हर तरफ मायूसी छायी रही. ग्रामीणों के चेहरे पर हादसे का दर्द साफ- साफ झलक रहा था.
सुकेश व शशि का अंतिम संस्कार परिजनों ने कर दिया. जबकि, प्रीतम के पिता नागेंद्र प्रसाद विमल के दिल्ली में होने के कारण अंतिम संस्कार नहीं किया गया. एक साथ तीन परिवार का दीपक बुझने से पूरे गांव का माहौल गमगीन बना हुआ था.
कोई डॉक्टर तो कोई इंजीनियर, किसी की सेना में शामिल होने की थी चाहत
केशोपुर हादसे ने छह सपने को सकार होने से पहले ही विराम लगा दिया. हादसे में जान गंवाने वाले मासूमों के सपने की उनके परिजन के साथ गांव-वाले भी चर्चा करते दिखे.
प्रीतम का सपना था कि वह दिल्ली से पढ़ाई करके एक बड़ा इंजीनियर बने. रोशन सेना में शामिल होकर देश की सेवा करना चाहता था. वहीं, सुजीत व संदीप पुलिस वाला बनकर अपराध पर लगाम लगाना चाहता था. शशि अपने पिता के सपने को सकार करने के लिए बड़ा आदमी बनना चाहता था.
– शव से लिपट कर मां हो रही थी बेहोश
गुरुवार दोपहर करीब 12 बजे पोस्टमार्टम के बाद जैसे ही शव सकरा पहुंचा, तो परिजनों में चीत्कार मच गया. बारी- बारी करके मृतक के घरवालों को शव पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने सौंप दिया. दरवाजे पर शव पहुंचते ही परिजनों की हालत खराब होने लगी. मृतक बच्चों की मां के दर्द को देख सभी के आंख से आंसू गिर रहे थे. बार- बार बेटा के शव से लिपट कर बेहोश हो जाती थी.
—केशोपुर चौक के पास हुआ था भीषण हादसा
–मछही गांव में पसरा है सन्नाटा
फोटो भी है
चालक की झपकी ने ली जान
लोगों ने बताया कि मैजिक के चालक को नींद आ जाने की वजह से दुर्घटना हुई थी. मछही गांव के राजा, मिंटू व वैशाली जिले के बलिगांव थाने के गोविंदपुर बेला निवासी चंदन का इलाज प्रसाद अस्पताल में किया जा रहा है. वहीं, मछही कुढ़नी के सौरभ व राजू को प्रशांत अस्पताल और मां जानकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
इनकी हुई मौत
प्रीतम कुमार (मछही, सकरा), शशि कुमार (मछही, सकरा), सुकेश कुमार (मछही, सकरा), संदीप कुमार (सरमसपुर पकड़ी, सकरा), रौशन कुमार (लोहरगामा, सकरा), सुजीत कुमार (सिराजाबाद, सकरा), चालक राजीव राय ( बेला, पातेपुर, वैशाली).

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