शराब की बोतल व जब्त खोखा की धारा लगाना भूल गये दारोगा जी, जानें पूरा मामला
खबड़ा में मारपीट मामले में पुलिस कार्रवाई पर सवाल आवेदन में आरोपितों के नशे में हंगामा व मारपीट का है जिक्र पुलिस को आरोपितों की गाड़ी से तलवार व खोखा मिला था बावजूद प्राथमिकी में नहीं लगी है उत्पाद व आर्म्स एक्ट की धाराएं मुजफ्फरपुर : खबड़ा गांव से शराब की बोतल व खोखा बरामद […]
खबड़ा में मारपीट मामले में पुलिस कार्रवाई पर सवाल
आवेदन में आरोपितों के नशे में हंगामा व मारपीट का है जिक्र
पुलिस को आरोपितों की गाड़ी से तलवार व खोखा मिला था
बावजूद प्राथमिकी में नहीं लगी है उत्पाद व आर्म्स एक्ट की धाराएं
मुजफ्फरपुर : खबड़ा गांव से शराब की बोतल व खोखा बरामद होने के बाद भी प्राथमिकी में एक्साइज और आर्म्स एक्ट की धारा लगाना सदर थाने के दारोगा जी भूल गये, जबकि जब्ती सूची में दो खोखा मिलने की बात कही गयी है. यही नहीं, शराब के नशे में हंगामा करने की सूचना देनेवालों पर ही 14 घंटे बाद पुलिस दूसरे पक्ष से आवेदन लेकर केस के वादी पर भी प्राथमिकी दर्ज कर दी.
एक्सयूवी पर सवार महिला ने की थी गोलीबारी : 19 मार्च की रात खबड़ा गांव के लोगों ने एक खुली जीप पर नशे में हंगामा करते लोगों का विरोध किया. इसके बाद जीप पर बैठे लोगों ने गांव के विकास नाम के एक लड़के के साथ मारपीट की और उसे जबरन जीप पर बैठा लिया. यह देख ग्रामीणों ने गामा शुरू कर दिया. इसी बीच वहां एक्सयूवी गाड़ी पर एक महिला पहुंची और गोलीबारी करने लगी. गोलीबारी के बाद लोग सहम गये. मौका मिलते ही सभी जीप छोड़ वहां से फरार हो गये. मौके पर जमादार लालदेव राम दल-बल के साथ पहुंचे. जीप से शराब की खाली बोतल, तलवार और स्टीक और सड़क से खोखा बरामद कियव गया. लेकिन विकास के आवेदन पर मारपीट, हमला सहित अन्य साधारण धाराओं में केस दर्ज की.
पीड़ित युवक पर ही दर्ज करायी प्राथमिकी : 20 मार्च को आरोपित पक्ष के लोग भी थाने पहुंचे और नशे में हंगामा करने की शिकायत करनेवाले पीड़ित विकास सहित उसके परिवार के लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करा दी. पुलिस को दिये आवेदन में दूसरे पक्ष के विभूति भूषण ठाकुर ने विकास, उसके पिता कमलेश ओझा, नरेश ओझा, भोला ओझा सहित 10-15 अज्ञात पर जबरन गाड़ी रोक पांच लाख की रंगदारी मांगने, मारपीट करने, गाड़ी में रखे रुपये, घड़ी और चेन छीन लेने का आरोप लगाया है. पुलिस ने दोनों केस दर्ज कर अलग-अलग जांच अधिकारी नियुक्त किया. अधिवक्ता अरविंद कुमार का कहना है कि काउंटर केस में अक्सर एक ही जांच पदाधिकारी होते हैं.